SHIVRATRI 2025 : यदि दांपत्य जीवन की गाड़ी के दोनों पहिए एक ही दिशा में न चलकर अलग-अलग चल रहे हैं। सुख-शांति की जगह मनमुटाव और नोकझोंक ने ले ली है और आपकी लाख कोशिशों के बाद भी बात नहीं बन रही है, तो उपाय के तौर पर आपको फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि यानी शिवरात्रि का उपवास जरूर रखना चाहिए। इसके साथ ही, जिन कन्या या लड़के का विवाह नहीं हो रहा है, उन्हें शिवरात्रि का उपवास रखने के साथ भोलेबाबा से अच्छे जीवनसाथी की प्रार्थना करनी चाहिए। शिवरात्रि का खास दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती को समर्पित है। शिव-पार्वती का वैवाहिक जीवन सच्चे प्रेम, भक्ति और शक्ति का प्रतीक है। जो भी भक्त इस दिन सच्ची आस्था और विश्वास के साथ शिव और पार्वती का पूजन करते हैं, उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। शिव-पार्वती की जोड़ी अद्भुत है। आइए जानते हैं, इस शिवरात्रि पर क्या खास करना चाहिए।
चुतर्दशी में महाशिवरात्रि क्यों है इतनी खास
शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ‘शिवरात्रि’ का व्रत होता है परन्तु फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ‘महाशिवरात्रि’ के नाम से जाना जाता है, नाम से ही स्पष्ट है कि यह शिवरात्रि सबसे बड़ी है. कुछ लोगों की मान्यता है कि महाशिवरात्रि भगवान शिव का प्राकट्य दिवस हैं किंतु शिव तो अनादि हैं तथा वे काल से परे हैं. इसलिए शिव तो सर्वत्र और सदैव विद्यमान हैं.
