वास्तु शास्त्र में हरेक दिशा के लिए अलग-अलग रंग बताए गए है।
Vastu : आज हम लोग कुछ रंगों के विषय में चर्चा करेंगे। वास्तु में रंगों का भी बहुत महत्व है। वास्तु शास्त्र में हरेक दिशा के लिए अलग-अलग रंग बताए गए है। भवन की दीवारों का रंग, साज सजावट के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले सामानों का रंग आदि चीजें आपके घर के साथ आपके व्यक्तित्व पर भी गहरा प्रभाव डालते है। रंगों में शक्ति का संचार होता है, रंगों का उचित प्रयोग पर्सनैलिटी इंप्रूवमेंट, मूड को ठीक रखने के साथ बौद्धिक क्षमता का भी विकास करता है, इसके विपरीत स्थिति होने पर घरेलू माहौल अशांत रहना, घर के मुखिया का स्वास्थ्य ठीक न होना, क्षणिक क्रोध आना जैसी तमाम नकारात्मक घटनाएं घटित होती भी दिखाई देती है। इस लेख में आपको रंगों से जुड़े सकारात्मक-नकारात्मक के विषय में बताया जा रहा है, रंगो से जुडे़ वास्तु टिप्स को जानकर आप अपने पारिवारिक और व्यक्तिगत जीवन को भी सुखद बना सकते हैं।
आकर्षण के साथ क्रोध भी बढ़ाता है, लाल रंग
भवन में चटक लाल रंग स्वभाव को क्रोधी बनाता है, क्रोध में बुद्धिभ्रम उत्पन्न होता है, जिसके कारण निर्णय गलत होते हैं और धन का नाश होता है इसलिए तेज लाल रंग से बचना चाहिए और इसका प्रयोग सावधानी से करना चाहिए। रंग संयोजन (कलर कंट्रास्ट) पैदा करने के लिए कहीं-कहीं इसका प्रयोग करना जरूरी भी होता हैं, क्योंकि इस रंग में तीव्र आकर्षण पैदा करने की क्षमता हैं। सुप्त पड़े ऊर्जा क्षेत्र को सकारात्मक रूप से क्रियाशील करने के लिए इस रंग का प्रयोग करना अनिवार्य भी होता है।
स्वागत कक्ष में रखे फूलों के गुलदस्ते में फूल यदि चटक लाल रंग के हों तो इससे हार्दिकता संपन्नता और उत्साह में वृद्धि होती है
स्वागत कक्ष में रखें, चटक रंग के फूल
स्वागत कक्ष में रखे फूलों के गुलदस्ते में फूल यदि चटक लाल रंग के हों तो इससे हार्दिकता, संपन्नता और उत्साह में वृद्धि होती है। इसे देखते ही अधिकांश आगुंतक आतुरता से इसकी ओर आकर्षित होते हैं। साथ ही हरी पत्तियां उत्पादन और सद्भाव की प्रेरणा देती है किंतु यहां यह ध्यान रखने की बात है कि दोनों रंगों में संतुलन अवश्य हो। रंग चयन में असंतुलन देखने वालों को कुछ कमी का बोध कराएगा और पूरी तरह जागृत नहीं हो पाएगा। इसी तरह रंगों का आनुपातिक संयोजन उनकी क्षमताओं के अनुरूप ही किया जाए, तभी वातावरण मन को संतोष देने वाला होता है। माहौल खुशनुमा लगता है, एक अलौकिक आकर्षण और संपन्नता का एहसास होता है।
खुशगवार रंग नारंगी
नारंगी रंग में एक अलौकिक शक्ति होती है। यह एक खुशगवार रंग हैं, काफी संवेदनशील भी हैं, इस रंग का प्रयोग स्वागत कक्ष या भोजन कक्ष अथवा सभागार में करना उपयुक्त हैं। अध्ययन कक्ष में इसका प्रयोग किया जाना बेहतर है क्योंकि यह रंग मूल रूप से प्रसन्नता के साथ एकाग्रता का प्रतीक है। आजकल बैगनी रंग भी काफी प्रचलन में है। इसे बुद्धिमता का रंग कहा जाता है तथा प्रतिभावान लोगों की पसंद का रंग है। इस रंग का संबंध विचारों की शुभता से हैं। तेजस्विता का गुण लिए हुए है। साथ ही लक्ष्य भेद की क्षमता तथा प्रभाव को बढ़ाता है।
पीला रंग बढ़ाता है, ज्ञान
पीले रंग का संबंध ज्ञान से है। यह सोचने समझने की क्षमता को बढ़ाता है, आशावादी है। इसे भोजन कक्ष, रसोई, भीतर का आंगन, बारामदा इत्यादि स्थानों पर प्रयोग किया जा सकता है। किन्तु यदि इस रंग का प्रयोग अत्यधिक मात्रा में किया गया तो इस रंग में प्रतिकूल गुण भी है, वह सक्रिय हो जाता है। इस रंग के प्रतिकूल गुणों में मुख्य रूप से अहंकार, जिद या दूसरों को नीचा दिखाना है। इस रंग को स्वागत कक्ष में कम से कम प्रयोग करना चाहिए। बैंक, फाइनेंस कंपनियों, मंदिरों, धर्म स्थानों, आश्रमों में बृहस्पति का आधिपत्य है। इनके जैसी संस्थाओं में पीले का प्रयोग अधिक हो सकता है।
हरा स्वतंत्रता का भाव लाता है
हरा रंग सद्भाव का प्रतीक है, ताजगी पहुंचाता है, स्वतंत्रता का भाव भरता है, किंतु ईर्ष्या और छल-कपट के भाव को भी जागृत करता है। स्नानगृह, संगीत कक्ष, अध्ययन कक्ष में इसका प्रयोग अच्छा है। रोगी के प्रयोग में आने वाले कक्ष में भी हरे रंग का प्रयोग अत्यंत लाभकारी परिणाम देता हैं क्योंकि यह रंग स्वास्थ्यवर्द्धक माना जाता है।
अशुभ है काला रंग
काला रंग अशुभ डरावना और भुतहा हैं, इसका प्रयोग न ही हो तो अच्छा है। यदि प्रयोग करना ही पड़े तो कम मात्रा मे करना चाहिए। किसी व्यक्ति के भवन, कार्यालय का रंग या वह जो वस्त्र पहनता है उसके रंग का असर उसके भाग्य पर अवश्य पड़ता है।