कुरुक्षेत्र का युद्ध समाप्त होने के बाद हस्तिनापुर के शासक राजा परीक्षित बने जो अर्जुन पुत्र अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र थे।
Hunting in Jungle : कुरुक्षेत्र का युद्ध समाप्त होने के बाद हस्तिनापुर के शासक राजा परीक्षित बने जो अर्जुन पुत्र अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र थे। माना जाता है कि इन्हीं राजा परीक्षित के शासन काल में द्वापर युग का अंत और कलियुग का प्रारंभ हुआ। राजा परीक्षित का शासन बहुत थोड़े समय ही चला और उसके बाद हस्तिनापुर के सिंहासन पर उनके पुत्र जनमेजय विराजमान हुए। एक बार जनमेजय ने अपने मंत्रियों को बुलाकर पिता की मृत्यु का कारण जानना चाहा। यह इसलिए पूछ रहा हूं ताकि मैं जगत के कल्याण का कार्य कर सकूं।
जनमेजय ने मंत्रियों से पूछा पिता की मृत्यु का कारण
इतना सुनते ही मंत्रियों ने महाराज परीक्षित की विशेषताएं बताना शुरु किया, आपके पिता धर्मज्ञ थे, धर्म के मार्ग पर चलते हुए वे प्रजा का पालन करते थे। सबके प्रति समान व्यवहार रखते हुए किसी के प्रति ईर्ष्या द्वेष आदि नहीं रखते थे। दिव्यांग और अत्याधिक वृद्धजनों के जीवन पालन का दायित्व भी उन्होंने अपने ऊपर ही उठा रखा था। उन्होंने 60 वर्ष तक शासन किया और प्रजा को दुखी कर परलोक सिधार गए। इसके बाद यह राज्य आपको प्राप्त हुआ। उनकी बात सुनने के बाद राजा जनमेजय ने कहा, आप लोगों ने मेरे मूल प्रश्न का उत्तर तो दिया ही नहीं, मेरी इच्छा पिता की मृत्यु का कारण जानने की है।
शिकार के दौरान परीक्षित की हुई मौनी बाबा से भेंट
महाभारत के आदिपर्व के अनुसार महाराजा परीक्षित भी अपने पूर्वज महाराज पाण्डु की तरह ही शिकार प्रेमी थे। एक बार राजपाट मंत्रियों पर छोड़ कर स्वयं शिकार करने निकल गए। शिकार करने के दौरान उन्हें एक हिरन दिखा तो उसका पीछा करने लगे। 60 वर्ष से अधिक आयु होने के कारण वे थक गए और उन्हें भूख भी लगी। पास में ही एक मुनि मौन तपस्या कर रहे थे। राजा ने उनसे पूछा लेकिन मौन ध्यान में होने के कारण वे कुछ नहीं बोले। राजा को लगा कि मौनी बाबा उनकी तिरस्कार कर रहे हैं तो उन्होंने एक मरा हुआ सांप लाकर उनके गले में डाल दिया। इस पर भी मौनी बाबा कुछ नहीं बोले तो राजा उलटे पांव राजधानी लौट आए। मौनी ऋषि का नाम था शमीक और उनके पुत्र थे श्रृंगी।
राजा परीक्षित को मरने का दे दिया शाप
महा तेजस्वी श्रृंगी को अपने मित्र से पूरे घटना क्रम की जानकारी मिली कि राजा परीक्षित ने किस तरह उनके पिता का अपमान किया है। इस बात से श्रृंगी ऋषि क्रोध से आग बबूला हो गए और हाथ में जल लेकर आपके पिता अर्थात राजा परीक्षित को शाप दिया, जिसने मेरे निरपराध पिता के कंधे पर मरा हुआ सांप डाला है, उस दुष्ट को तक्षक नाग क्रोध करके अपने विष से सात दिनों के भीतर ही जला देगा। अब लोग मेरे तप बल को देखें। शाप देने के बाद श्रृंगी अपने पिता के पास गए और उन्हें सारी बात बतायी जिस पर शमीक मुनि ने कहा यह तुमने ठीक नहीं किया।