Dharam : गरुड़ जी भी अपनी मां के साथ दास बने, सर्पों ने दासत्व से मुक्ति के लिए ऐसी कौन सी मांग रख दी

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Dharam : विनता के एक अंडे से तो आरुणि उत्पन्न हुए जो मां शाप देने के साथ ही उससे मुक्ति का उपाय बताते हुए सूर्य के सारथि बन गए. उनके उपाय के अनुसार पांच सौ वर्षों के बाद विनता के दूसरे अंडे से सूर्य के समान महान तेजस्वी और अग्नि के समान चमक वाले पक्षिराज गरुड़ के रूप में उनके दूसरे पुत्र की उत्पत्ति हुई. देवताओं और ऋषियों के आग्रह पर उन्होंने अपने विशालकाय शरीर को तो छोटा किया ही अपनी चमक और तेज को भी उसी के अनुसार कम कर लिया. सभी देवता और ऋषि पक्षिराज गरुड़ के दर्शन कर देवलोक और आश्रमों में चले गए. 

कद्रू ने गरुड़ को दिया आदेश

एक दिन स्वभाव से विनम्र विनता अपने पुत्र के पास बैठी थी, तभी कद्रू ने दोनों को अपने पास बुलाकर कहा, मेरी इच्छा समुद्र के भीतर नागों का दर्शनीय स्थल देखने की है, तू मुझे अपने पुत्रों के साथ वहां पर ले चल. दासत्व के कारण अपनी ही बहन के आदेश का पालन करते हुए विनता ने कद्रू और गरुड़ ने सर्पों को अपने कंधे पर लादा और उड़ चला. गरुड़ जी बहुत ऊंचाई पर सूर्य के काफी निकट उड़ रहे थे जहां गर्मी के कारण सर्प बेहोश होने लगे. इस स्थिति को देख कद्रू ने इंद्रदेव से प्रार्थना की तो संपूर्ण आकाश मेघों से भर गया और वर्षा होने लगी. शीतल जल पड़ने से सर्पों की बेहोशी टूटी और वे सुखी तथा प्रसन्न हो गए. 

गरुड़ देव चिंता में पड़े, मां से पूछा कारण

कद्रू ने अपने सर्प पुत्रों के साथ नागों का दर्शनीय स्थल, लवणसागर, सुंदर वनों को देखा. वहां पर सब खूब घूमे और आपस में खेले. इसके बाद कद्रु ने गरुड़ से कहा, तुमने तो आकाश में उड़ते हुए एक से एक सुंदर द्वीप देखे होंगे. ऐसे ही किसी मनोरम द्वीप पर हम सबको भी ले चलो. आदेश पर आदेश और उनका पालन करते हुए गरुड़ देव चिंता में पड़ गए. उन्होंने सहजता से अपनी मां से पूछा, मुझे इन सर्पों और उनकी मां की आज्ञा का पालन क्यों करना चाहिए. मां विनता ने पूरी बात बतायी कि सर्पों के छल के कारण मुझे अपनी ही बहन का दासी बनना पड़ा और मेरे कारण ही तुझे यह सब करना पड़ रहा है. मां की बात सुन कर गरुड़ जी ने सर्पों से प्रश्न किया, तुम लोग सच सच बताओ की तुम्हारे लिए मैं ऐसा क्या कर दूं कि मेरी मां और मैं तुम्हारे दासत्व से मुक्त हो जाएं. इतना सुन कर सर्पों ने गरुड़ से कहा, तुम तो पराक्रमी हो, हमारे लिए अमृत लाकर दे दो तो हम तुम्हें और तुम्हारी माता को दासत्व से मुक्त कर देंगे.    

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