Birth of Garuda : अग्नि के समान तेजस्वी विशालकाय को नजदीक आते देवता डर गए, कथा में जानिए क्या था कारण और वह था कौन

0
66
#image_title

Birth of Garuda : कश्यप ऋषि की पत्नियों कद्रु और विनता के बीच की ईर्ष्या जग जाहिर थी। दोनों एक दूसरे को पछाड़ कर आगे निकल जाने को व्याकुल थीं इसीलिए उन्होंने समुद्र मंथन से निकले उच्चैश्रवा घोड़े की पूंछ के रंग को लेकर शर्त लगा ली। इस शर्त में कद्रु ने चालाकी की और घोड़े की पूंछ सफेद होने के बाद भी अपने नाग पुत्रों को उसकी पूंछ पर लिपटने की आज्ञा दे दी जिससे पूंछ काली दिखने लगी। काली दिखने पर शर्त के अनुसार कद्रु ने विनता को अपनी दासी बना लिया।

दासी बनने के बाद विनता ने की दूसरे अंडे की सुरक्षा

महाभारत के आदि पर्व के अनुसार कश्यप ऋषि से दक्ष प्रजापति की दोनो पुत्रियों ने विवाह कर उनसे पुत्र प्राप्ति का वरदान मांगा तो कद्रु ने एक हजार तेजस्वी नाग पुत्र और विनता ने दो तेजस्वी बलवान पुत्र मांगे थे। ऋषि तो ऐसा ही होगा बोल कर तपस्या को चले गए। कद्रु के नाग पुत्रों का जन्म होने के बाद विनता बेचैन हो गयी तो उसने पांच सौ वर्ष पूरे होने पर ही अपने एक अंडे को फोड़ दिया जिससे एक दिव्यांग बालक निकला जिसका ऊपर का शरीर तो बलिष्ठ लेकिन निचले अंग नहीं विकसित हुए थे। उसने अंडे से निकलते ही आकाश मार्ग से जाते हुए मां शाप दिया कि तू अपनी सौत की दासी बनेगी, मां के पूछने पर उसने मुक्ति का उपाय बताया कि यदि तुमने दूसरे अंडे को नहीं फोड़ा तो वही वीर तुम्हें दासत्व से मुक्त कराएगा। इस तरह पांच सौ वर्षों तक विनता दासी बन कर रही। दूसरा अंडा निश्चित समय पर स्वतः फूटा तो उससे अग्नि के समान तेज बालक का जन्म हुआ। 

देवों के हितैषी कुबेर के जन्म की कथा

जन्मते ही वह आकाश की ओर उड़ा तो उसे देख देवता समझे कि अग्निदेव स्वयं ही आ रहे हैं, ऐसे में देवता अग्निदेव के समक्ष  शरणागत हो कर बोले, भगवन आप अपना शरीर न बढ़ाएं नहीं तो हम सब आपके तेज में जल कर भस्म हो जाएंगे। इस पर अग्निदेव ने कहा, आप लोगों को भ्रम हुआ है, यह मैं नहीं हूं बल्कि नागों के नाशक, देवताओं के हितैषी और असुरों के शत्रु हैं। आप भयभीत होने के स्थान पर मेरे साथ चल कर मिलें। देवताओं और ऋषियों ने गरुड़ देव की आराधना की। उनकी प्रार्थना स्वीकार कर गरुड़ जी ने कहा, मेरे भयंकर शरीर को देख कर आप लोग घबरा गए थे इसलिए मैं अपने तेज और शरीर को छोटा कर लेता हूं। इस पर सभी प्रसन्नता से लौट गए।

+ posts

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here