श्रृंगी ऋषि को जब महाराज परीक्षित द्वारा अपने पिता का अपमान की जानकारी हुई तो वे आग बबूला हो गए और क्रोध में हाथ में जल लेकर शाप दिया।
Death of Parikshit : श्रृंगी ऋषि को जब महाराज परीक्षित द्वारा अपने पिता का अपमान की जानकारी हुई तो वे आग बबूला हो गए और क्रोध में हाथ में जल लेकर शाप दिया कि जिसने भी मरा हुआ सांप मेरे महातपस्वी पिता शमीक मुनि के गले में डाला है, उसे एक सप्ताह के भीतर तक्षक नाग अपने विष से जला देगा। इस बात की जानकारी पर शमीक मुनि को मिली तो उन्हें अच्छा नहीं लगा।
शमीक मुनि ने राजा परीक्षित को सचेत कराया
शमीक मुनि ने अपने सबसे शीलवान और गुणवान शिष्य गौरमुख को महाराजा परीक्षित के पास भेजा। महाभारत के आदिपर्व के अनुसार राजा जनमेजय को उनके मंत्रियों ने बताया, शमीक मुनि के शिष्य गौरमुख ने उनके पास पहुंच कर गुरु का संदेश सुनाया कि मेरे ही पुत्र ने आपको शाप दिया है इसलिए आप सावधान हो जाएं। तक्षक सात दिनों के भीतर आपको जला देगा इससे महाराजा परीक्षित सावधान हो गए। सातवें दिन जब तक्षक नाग आ रहा था तो उसने काश्यप नामक ब्राह्मण को रास्ते में देखा तो उन्हें प्रणाम कर पूछ लिया, हे ब्राह्मण देवता, आप इतनी तेजी से कहां जा रहा रहे हैं और क्या करना चाहते हैं। इस पर उन्होंने बड़ी ही सरलता से कहा कि आज तक्षक राजा को अपने जहर से जला देगा और जैसे ही वह जलाएगा, उन्हें तुरंत ही जीवित कर दूंगा। मेरे वहां पहुंच जाने पर तो तक्षक उन्हें जला भी नहीं सकेगा।
मरे को जीवित करने वाले ब्राह्मण देव फंसे लालच में
तक्षक ने अपना परिचय देते हुए उनसे प्रश्न किया, आप उन्हें क्यों जीवित करना चाहते हैं। पहले आप मेरी शक्ति देख लीजिए, मेरे डसने के बाद आप उन्हें जीवित नहीं कर सकेंगे। इतना कहते ही तक्षक ने सामने एक पेड़ को डसा तो वह उसी क्षण जल कर राख हो गया। काश्यप ब्राह्मण ने अपनी विद्या से पेड़ को फिर से हरा-भरा कर दिया। अब तक्षक को अपनी योजना फेल होती नजर आई तो उसने ब्राह्मण देवता को लालच देते हुए कहा कि तुम जो चाहो मुझसे ले सकते हो। जब ब्राह्मण ने बताया कि वह तो धन लेने ही राजा के पास जा रहा है तो तक्षक बोला, तुम राजा से जितना भी धन लेना चाहते हो मुझसे ही ले लो किंतु राजमहल न जाओ और यहीं से लौट जाओ। इसके बाद ब्राह्मण देव मनचाहा धन लेकर लौट गए।
तक्षक ने राजा परीक्षित को डस ही लिया
इसके बाद तक्षक पहरेदारों को धोखा देते हुए महल के अंदर गया और मौका पाते ही राजा परीक्षित को डस लिया जिससे उनका जीवन समाप्त हो गया। मंत्रियों ने राजा जनमेजय से कहा कि जिस तरह तक्षक ने आपके पिता को डसा उसी तरह से उसने उत्तंक ऋषि को भी बहुत परेशान किया जो अपनी गुरुमाता की सेवा कर रहे थे। इस पर राजा जनमेजय ने मंत्रियों से प्रश्न किया, आप लोगों को ब्राह्मण देवता के पैसा लेकर वापस लौटने की बात कैसे जानते हैं। इस पर उन्होंने बताया कि जिस समय तक्षक ने पेड़ को डस कर जलाया था, उस समय एक व्यक्ति पेड़ पर सूखी लकड़ी तोड़ने के लिए चढ़ा था। पेड़ के साथ ही वह भी जल गया था किंतु पेड़ के हरा भर होते ही वह भी जीवित हो उठा था। उसी ने हम लोगों को यह जानकारी दी थी।