Shri Bhaktamal : श्री मत्स्यावतार की कथा 

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भगवान के अनंत अवतार हैं और अनंत लीलाएं भी लेकिन भगवान ने जो पहला अवतार लिया वह मत्स्य अर्थात मछली का अवतार है।

Shri Bhaktamal : “श्री भक्तमाल” उसके रचयिता नाभादास जी और टीकाकार प्रियादास जी के बाद भगवान के कुछ प्रमुख अवतारों के बारे में जानिए। संसार में जब-जब किसी तरह का संकट आया भगवान ने अवतार लेकर अपने ही तरीके से उस संकट को दूर किया। वास्तव में पृथ्वीलोक भगवान की लीला स्थली है। भगवान के अनंत अवतार हैं और अनंत लीलाएं भी हैं लेकिन भगवान ने जो पहला अवतार लिया वह मत्स्य अर्थात मछली का अवतार है।

श्रीमदभागवत के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी को नींद आने लगी और उसी समय उनके मुख में वास करने वाले वेद बाहर निकल पड़े जिन्हें पास ही रहने वाले दैत्य हयग्रीव ने चुरा लिया। ब्रह्मा जी के निद्रा में जाने से प्रलय हुई और सारे लोक समुद्र में डूब गए। श्री हरि ने हयग्रीव की मंशा जान ली और वेदों का उद्धार करने के लिए मत्स्य अवतार लिया। 

द्रविड़ देश के राजा सत्यव्रत बहुत ही धर्मनिष्ठ थे, जो मलय पर्वत पर केवल जल पीकर तप कर रहे थे। यही राजा वर्तमान महाकल्प में वैवस्त मनु के नाम से जाने गए। एक दिन कृतमाला नदी में तर्पण करते समय उनकी अंजुरी में एक छोटी सी मछली आ गयी, जिसे उन्होंने पुनः नदी में छोड़ दिया। मछली ने उनसे रक्षा की प्रार्थना करते हुए कहा कि नदी के जीव जन्तु उसे खा लेंगे। इस पर राजा ने उसे कमंडल के जल में डाल दिया। 

कुछ ही समय में मछली काफी बड़ी हो गयी और कमंडल में जगह ही नहीं बची तो राजा ने उसे एक जल से भरे बड़े मटके में रख दिया। लेकिन यह क्या कुछ ही देर में मछली तीन हाथ लंबी हो गयी तो उसे निकाल कर राजा ने सरोवर में रख दिया। यहां मछली का आकार और भी बड़ा हो गया। स्थिति यह हो गयी कि राजा उस मछली को जहां भी रखते हुए उसका आकार बढ़ता ही जाता तो राजा ने उसे समुद्र में छोड़ दिया, इस पर मछली ने राजा से कहा, हे राजन ! आप मुझे समुद्र में न छोड़ें और मेरी रक्षा करें। अब राजा का कौतुहल बढ़ा तो उन्होंने हाथ जोड़ प्रणाम करते हुए कहा आप अवश्य ही सर्वशक्तिमान श्री हरि हैं। आपने यह रूप किस उद्देश्य से ग्रहण किया है। 

राजा सत्यव्रत के इस तरह से पूछने पर मछली रूपी श्री हरि ने उत्तर दिया, आज से ठीक सातवें दिन तीनो लोक प्रलय के समुद्र में डूब जाएंगे। तब मेरी प्रेरणा से एक बड़ी सी नाव तुम्हारे पास आएगी। उस समय तुम सप्तर्षियों सहित सभी प्राणियों के सूक्ष्म शरीर लेकर उस पर चढ़ जाना। साथ में सभी तरह की दवाएं और पेड़ों के बीजों को रखना न भूलना। जब तक रात रहेगी तब तक मैं नौका लेकर समुद्र में घूमते हुए तुम्हारे सभी प्रश्नों का उत्तर दूंगा। इतना कह कर मछली रूपी भगवान अंतर्ध्यान हो गए। 

ठीक सातवें दिन प्रलय हुई और भगवान पुनः उसी रूप में प्रकट हुए। उनका शरीर सोने के समान और शरीर का विस्तार चार लाख कोस अर्थात 12.5 लाख किलोमीटर तक हो गया। उनके शरीर में एक बड़ा सा सींग भी था। नाव को वासुकी नाग से सींग से बांध दी गयी। राजा सत्यव्रत ने भगवान की स्तुति की तो भगवान ने प्रसन्न होकर अपने इस पहले अवतार का रहस्य बताया जिसके अनुसार ब्रह्मा जी की नींद टूटने पर उन्होंने हयग्रीव का वध कर वेदों की श्रुतियां मुक्त करा ब्रह्मा जी को लौटा दीं।

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