तप में लीन पार्वती के सामने पहुंच कर सप्तऋषियों ने जमकर की शिव जी की आलोचना, फिर सुंदर सुयोग्य वर का दिया प्रस्ताव, जानिए वो कौन है

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सप्तर्षियों से मिलने के बाद जंगल में तप कर रहीं पार्वती जी ने हंसते हुए कहा, हे मुनियों, मेरा अज्ञान देखिए कि नारद जी की बात सत्य जानकर मैं शिव जी को अपना पति बनाने की ठान बैठी हूं. इस पर ऋषि गण बहुत जोर से हंसे और बोले, पर्वत से उत्पन्न होने के कारण ही तुम्हारी बुद्धि फिर गई है, नारद जी की बात सुनकर आज तक तो किसी का घर बसा नहीं है. उन्होंने दक्ष के पुत्रों को उपदेश दिया था और सभी लोग उस घटना का हाल जानते है कि पुत्रों ने लौट कर घर का मुख ही नहीं देखा. चित्रकेतु के घर को चौपट करने और हिरण्यकश्यप का क्या और कैसा हाल हुआ, सब जानते हैं इसके पीछे नारद जी ही थे. 

सप्तऋषि बोले, नारद की बातों पर चलने वालों का कभी घर नहीं बसता

ऋषियों ने उन्हें समझाया कि जो स्त्री पुरुष नारद जी की सीख पर चलते हैं, इतना तय है कि वह घर बार छोड़ भिखारी ही बनेंगे. उनके शरीर पर तो सज्जनों जैसी पहचान है, किंतु उनका मन बहुत ही कपटी है. वह खुद जैसे हैं वैसा ही सबको बनाना चाहते हैं. इतना जानने के बाद भी क्या तुम उनकी बातों पर विश्वास कर ऐसा पति चाहती हो जो सांसारिक चीजों से उदासीन, गुणहीन, खराब वेशभूषा, नर कपालों की माला धारण करने और शरीर पर सांप लपेटने वाला, बिना घर बार का कुलहीन है. ऋषियों ने समझाया कि ऐसा वर पाकर तुम भला कैसे खुश रह सकती हो. नारद तो ठग है और तुम उनके बहकावे में आकर सारी बातें भूल गयी. पहले पंचों के कहने से शिव ने सती से विवाह किया, फिर त्याग कर मरवा डाला. शिव को तो किसी बात की चिंता नहीं रहती है इसलिए वह भीख मांग कर भी खा लेते हैं, ऐसे स्वभाव वाले लोग हमेशा अकेले रहने वालों के साथ तुम्हारी कैसे निभ पाएगी, तनिक इस पर भी विचार करो. 

सप्तऋषियों ने पार्वती को दिया सुयोग्य वर का सुझाव

ऋषियों ने भांति-भांति से शिव जी की आलोचना करने के बाद प्रस्ताव रखा, कि यदि तुम चाहो तो हमने तुम्हारे लिए एक ऐसा वर तलाशा है जो बहुत ही सुंदर, पवित्र और सुखदायक है, जिसका यश और लीला वेद भी गाते हैं. वह दोषों से रहित, सद्गुणों से संपन्न, लक्ष्मी का स्वामी और बैकुंठपुर का रहने वाला है. तुम कहोगी तो ऐसे वर को लाकर हम तुम्हें मिलवा भी  सकते हैं.  

लेख का मर्म

शिव जी को पाने के लिए तप में लीन पार्वती जी के सप्तऋषियों के साथ हुए लंबे संवाद से यह शिक्षा मिलती है कि जब आप किसी विद्वान व्यक्ति से मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं तो फिर उसी रास्ते पर चलना चाहिए. ज्ञानी व्यक्ति बहुत ही सोच समझ और सभी आयामों का विचार करने के बाद ही सलाह देते हैं.

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