Ranakpur Sun Temple: द्वापर युग से जुड़ा है रणकपुर सूर्य मंदिर का इतिहास, जहां पांडवों को मिली ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति, क्या है इसके पीछे का रहस्य!

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Ranakpur Sun Temple
Ranakpur Sun Temple : राजस्थान के रणकपुर का प्रसिद्ध सूर्य मंदिर महाभारत काल का बताया जाता है. 

Ranakpur Sun Temple : राजस्थान के रणकपुर का प्रसिद्ध सूर्य मंदिर महाभारत काल का बताया जाता है.  जिसका निर्माण 13 वीं शताब्दी में नागर शैली में सफेद संगमरमर से किया गया. रखरखाव के अभाव में भारतीय वास्तुकला का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करने वाले इस सूर्य मंदिर का अधिकांश हिस्सा ध्वस्त हो गया तो 15 वीं शताब्दी में जैनियों ने मंदिर का पुनर्निर्माण कराया. राजस्थान के उदयपुर से करीब सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित मंदिर का प्रबंधन उदयपुर के शाही परिवार का ट्रस्ट देखता है.  

मंदिर निर्माण की कहानी और वास्तु

सूर्य नारायण के इस प्रसिद्ध मंदिर का मुख पूर्व दिशा की ओर है. 13 वीं शताब्दी का यह मंदिर जब किन्हीं कारणों से ध्वस्त होने लगा तो  15वीं शताब्दी में जैन व्यापारी धर्म शाह ने करवाया था, जो तीर्थंकर ऋषभनाथ के अनुयायी थे. स्वप्न में सूर्यदेव के दिव्य दर्शन के बाद धर्म शाह को मंदिर का पुनर्निर्माण कराने की प्रेरणा मिली तो उन्होंने सूर्यदेव को समर्पित का निर्माण कराया. मंदिर में भगवान सूर्य के  रथ पर सवार मूर्ति है और मंदिर की दीवारों पर योद्धाओं, घोड़ों और खगोलीय पिंडों आदि की अद्भुत नक्काशी है, जो यहां की कलात्मक उत्कृष्टता का अनुपम उदाहरण है. इसके गर्भगृह से पहले एक अष्टकोटनीय मंडप है जिसमें छह बरामदे हैं. सूर्य मंदिर एक ऊंचे पत्थर के मंच पर बना है जिसमें कोई चहारदीवारी नहीं है. मंदिर परिसर में कई इमारतें हैं जिनमें मुख्य मंदिर, सभा मंडप, गूढ़ एवं कीर्ति स्तंभ शामिल हैं जिनमें देवताओं और पौराणिक आकृतियों की जटिल नक्काशी है. पूरा मंदिर 1444 स्तंभों पर टिका हुआ है जिनमें से प्रत्येक का डिज़ाइन अद्वितीय है. सभा मंडप धार्मिक समारोहों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिसमें जैन तीर्थंकरों की कई खूबसूरत मूर्तियां भी हैं. जबकि गुूढ़ मंडप एक छोटा हॉल है जिसमें काले पत्थर से बनी मुख्य मूर्ति सूर्य देव की है. इसके चारों ओर देवी-देवताओं की 24 छोटी मूर्तियां हैं. कीर्ति स्तंभ जैन धर्म के पहले तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित एक विशाल स्मारक है.

Ranakpur Sun Temple
इस मंदिर का जुड़ाव महाभारत काल से भी बताया जाता है महाभारत युद्ध के बाद पांडवों को अपने ही बंधु बांधवों का वध करने के कारण आत्मग्लानि हुई तो उन्होंने भगवान श्री कृष्ण को अपनी स्थिति बतायी

महाभारत काल से भी जुड़ाव


इस मंदिर का जुड़ाव महाभारत काल से भी बताया जाता है, महाभारत युद्ध के बाद पांडवों को अपने ही बंधु बांधवों का वध करने के कारण आत्मग्लानि हुई तो उन्होंने भगवान श्री कृष्ण को अपनी स्थिति बतायी. श्री कृष्ण ने सुझाव दिया कि विभिन्न नदियों और कुंडों में स्नान करने के साथ ही मंदिरों में पूजा अर्चना करें. जिस कुंड में उनके अस्त्र शस्त्र गल जाएं वहीं पर उन्हें ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिलेगी. राजस्थान के रणकपुर में सूर्य मंदिर के सामने बने कुंड में जब पांडव अपने अस्त्र शस्त्रों के साथ स्नान करने गए तो उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा, जल में प्रवेश करते ही उनके लोहे के बने सारे हथियार गल गए. बाद में पांडवों ने सूर्य मंदिर में पूजा अर्चना भी की. हथियारों के गलने के कारण ही इस सूर्य कुंड को लोहार्गल के नाम से भी जाना जाता है.  

हर साल जुटते हजारों तीर्थयात्री

रणकपुर के सूर्य मंदिर का स्थापत्य देखने हर साल हजारों तीर्थयात्री जुटते हैं और सूर्यदेव की पूजा अर्चना कर अपनी और परिवार की आरोग्यता की प्रार्थना करते हैं. मंदिर एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है, जो दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है. सैलानी यहां की शानदार वास्तुकला को देखने और इसके समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक महत्व को जानने के लिए आते हैं. 

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