कुण्डली का नवम भाव: धर्म, भाग्य और दीर्घजीवन का रहस्य.. बृहस्पति देव और बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद होता है इनके लिए जरुरी

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Shashishekhar Tripathi 

ज्योतिषशास्त्र में नवम भाव को धर्म और भाग्य का प्रतीक माना जाता है. यह भाव जातक के जीवन में नैतिकता, आध्यात्मिक उन्नति और दीर्घजीवन के लिए महत्वपूर्ण है. आइए, नवम भाव के विभिन्न पहलुओं का गहराई से अध्ययन करते हैं, ताकि हम इसके महत्व को समझ सकें.

 धर्म और नैतिक जीवन का महत्व

नवम भाव को विकास क्रम में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है, क्योंकि यह नैतिक जीवन और आध्यात्मिक उन्नति का आधार है. शास्त्रों के अनुसार, आयु को धर्म की देन माना गया है. यदि जातक अपने जीवन में धर्म को प्राथमिकता देता है, तो वह दीर्घजीवी और सुखी जीवन का अनुभव कर सकता है.

 भाग्य का संकेत

नवम भाव जातक के भाग्य का प्रतिनिधित्व करता है. इस भाव की शुभ स्थिति जातक के सम्पूर्ण भाग्य का एक महत्वपूर्ण कारण है. यदि यह भाव शुभ ग्रहों से युक्त हो, तो जातक को जीवन में कई अवसर और सफलताएँ प्राप्त होती हैं. इसके विपरीत, यदि यह भाव अशुभ हो, तो जातक का जीवन संघर्षमय और कठिन हो सकता है.

 बृहस्पति का प्रभाव

नवम भाव का कारक ग्रह बृहस्पति है, जो ज्ञान, भाग्य, और समृद्धि का प्रतीक है. कालपुरुष की कुण्डली में नवम भाव धनु राशि में स्थित होता है, जिसका स्वामी बृहस्पति होता है. यह भाव उस स्थान से संबंधित है, जहाँ धार्मिक कार्य होते हैं, जैसे कि पूजास्थल. 

 बुजुर्गों का प्रभाव

नवम भाव बुजुर्ग लोगों से भी संबंधित है. यदि इस भाव में शुभ ग्रह हैं, तो बुजुर्गों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. लेकिन यदि यह भाव अशुभ हो, तो बुजुर्ग नाराज रह सकते हैं, जो जातक के जीवन में कई कठिनाइयों का कारण बन सकता है. 

पिता और आर्थिक स्थिति

नवम भाव जातक के पिता के साथ संबंध, लाभ और आर्थिक स्थिति को भी दर्शाता है. यदि इस भाव की स्थिति शुभ है, तो जातक को अपने पिता से सहयोग और आर्थिक लाभ मिल सकता है.

 स्वास्थ्य और चिकित्सा

नवम भाव स्वास्थ्य और उपचार से संबंधित है. यदि नवम भाव में शुभ ग्रह हैं, तो जातक को उच्च स्तर की चिकित्सा प्राप्त हो सकती है.

 राजयोग और लम्बी यात्रा

नवम भाव राज्य-उपभोग, प्रभुकृपा, राजयोग और लम्बी यात्राओं का भी संकेत देता है. यदि यह भाव बलवान है, तो जातक को अच्छी यात्रा और राजयोग का अनुभव हो सकता है, जो उसके जीवन में नई संभावनाएँ खोल सकता है.

 विवाह और संतति

नवम भाव से दूसरी पत्नी और उससे संतति प्राप्ति की संभावनाएँ भी देखी जा सकती हैं. यदि यह भाव बलवान हो, तो जातक को संतति सुख की प्राप्ति हो सकती है क्योंकि यह भाव पंचम भाव से जुड़ता है, जिसमें पुत्र सुख का संकेत होता है.

नवम भाव जातक के जीवन में धर्म, भाग्य, और दीर्घजीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाता है. इसके शुभ और अशुभ स्थिति के प्रभाव से जातक के जीवन में कई परिवर्तन हो सकते हैं. यदि जातक धर्म के मार्ग पर चलता है और इस भाव की सकारात्मक स्थिति को बनाए रखता है, तो वह एक सफल और सुखी जीवन जी सकता है. इस प्रकार, नवम भाव का अध्ययन करना जातक के जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में महत्वपूर्ण है.

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