शास्त्रों के अनुसार मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की आराधना, उपवास, जप-तप का अनुष्ठान करने के लिए विशेष तिथियां निर्धारित की गई है।
Navratri 2025 : नवरात्रि का पर्व शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की उपासना कर उनसे शक्ति प्राप्त करने का अवसर देता है। शास्त्रों के अनुसार मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की आराधना, उपवास, जप-तप का अनुष्ठान करने के लिए विशेष तिथियां निर्धारित की गई है। जिनमें दो गुप्त और दो प्रत्यक्ष नवरात्र है। प्रत्यक्ष नवरात्रि में पहला नवरात्र चैत्र मास और दूसरा आश्विन मास में मनाया जाता है। पितृपक्ष समाप्ति के अगले दिन से नवरात्रि शुरू हो जाते हैं। इस बार शारदीय नवरात्र का प्रारंभ 22 सितंबर दिन सोमवार से हो रहा है। नवरात्रि में कलश स्थापना के साथ ही जौ या जवारे बोना शुभ माना जाता है। कार्यों की शुभता को बढ़ाने के लिए उसका पंचांग अनुसार शुभ मुहूर्त पर किया जाना जरूरी है। कलश स्थापना और ज्वार बोने के कार्य को समृद्धि और शुभता का संकेत माना जाता है इसलिए इस महत्वपूर्ण कार्य को शुभ मुहूर्त में किया जाता है। जिससे मां भगवती की कृपा सदैव बनी रही, सुख समृद्धि में वृद्धि और मार्ग में आने वाले सभी कंटक निष्कंटक हो जाते हैं। आइए इस लेख में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और नवरात्रि तिथि के बारे में विस्तार से जानते हैं।
कलश स्थापना का मुहूर्त
नवरात्र में कलश (घट) स्थापना का अपना महत्व होता है। इसे किसी शुभ मुहूर्त में किया जाए अभीष्ट फल की प्राप्ति के साथ ही परिवार में सब कुछ शुभ-शुभ होने लगता है। निर्णय सागर पंचांग के अनुसार आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 22 सितंबर को है। घट स्थापना के लिए अमृत वेला का मुहूर्त प्रातः 6ः30 बजे से लेकर आठ बजे तक है, सबसे अच्छा मुहूर्त होने के कारण ही इसे दिव्य वेला भी कहा जाता है। दिवा वेला प्रातः 9ः30 से 11ः00 और शुभ दिवा वेला 12ः06 से 12ः55 तक रहेगी। इन्हीं मुहूर्तों में कलश की स्थापना करना श्रेष्ठ रहेगा।