
Mahashivratri 2025 : महाशिवरात्रि केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि आत्मजागरण और ब्रह्मांडीय ऊर्जा के संतुलन का महत्वपूर्ण अवसर है। यह पर्व भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित है और आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने का सर्वोत्तम माध्यम माना जाता है। यह रात्रि शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक है, जो ब्रह्मांडीय ऊर्जा के संतुलन और व्यक्ति के आत्मिक उत्थान का संदेश देती है।
शिवरात्रि का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व
शिवरात्रि केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करने और आध्यात्मिक चेतना तक पहुंचने का माध्यम भी है। भारतीय शास्त्रों के अनुसार, इस रात पृथ्वी की ऊर्जा अत्यधिक ऊर्जावान होती है, जिससे व्यक्ति की आत्मिक और मानसिक शक्ति को बल मिलता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, पृथ्वी की धुरी और चंद्रमा की स्थिति इस रात्रि को विशेष बनाती है। इस दिन ध्यान और साधना करने से व्यक्ति का ऊर्जा स्तर बढ़ता है और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि योगी और साधक इस दिन विशेष रूप से ध्यान और तपस्या में लीन रहते हैं।
शिवलिंग की पूजा का गूढ़ रहस्य
शिवलिंग की उपासना का गूढ़ अर्थ है विकारों और वासनाओं से मुक्त होकर मन को निर्मल बनाना। वायु पुराण के अनुसार, संपूर्ण सृष्टि जिस तत्व में विलीन होती है और जिससे पुनः प्रकट होती है, वही लिंग कहलाता है। यह समस्त ऊर्जा का प्रतीक है। शिव और शक्ति का संयोग ही सृष्टि का आधार है। शक्ति ऊर्जा है और शिव चेतना, दोनों मिलकर सृजन करते हैं। यही कारण है कि शिवलिंग की उपासना से आत्मसाक्षात्कार और परमानंद की प्राप्ति होती है।

Om namah shivay.