Shashishekhar Tripathi
ज्योतिषशास्त्र में चतुर्थ भाव को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है, क्योंकि यह भाव जातक की भावनाओं, कामनाओं और गृहस्थी के सुखों का प्रतीक है. इस भाव से व्यक्ति के हृदय, आत्मिक शांति और जीवन के दूसरे हिस्से में मिलने वाले सुखों का आकलन किया जाता है. चतुर्थ भाव से केवल बाहरी संपत्ति ही नहीं, बल्कि व्यक्ति की आंतरिक शांति, मानसिक स्थिरता और मातृत्व के भाव भी जुड़े होते हैं.
भावनाओं और कामनाओं का भाव
चतुर्थ भाव को भावनाओं और मन की शांति का प्रतीक माना जाता है. यह भाव जातक की इच्छाओं, भावनाओं, और मानसिक शांति का प्रतिनिधित्व करता है. व्यक्ति के मन की स्थिरता और शांति इसी भाव से जानी जाती है. यदि इस भाव में शुभ ग्रह स्थित हों, तो जातक मानसिक रूप से शांत और संतुलित रहता है. इसके विपरीत, अशुभ ग्रहों की स्थिति में व्यक्ति के आत्मविश्वास में कमी आ सकती है, जिससे वह मानसिक तनाव और बेचैनी का शिकार हो सकता है.

चतुर्थ भाव और कालपुरुष का हृदय
चतुर्थ भाव का संबंध कालपुरुष के हृदय और वक्ष:स्थल से भी होता है. यह भाव हृदय की भावनाओं, प्रेम, और सहानुभूति का प्रतीक है. चतुर्थ भाव में कर्क राशि का प्रभाव होता है, और इसका स्वामी ग्रह चंद्रमा है. चंद्रमा जातक की मानसिक स्थिति और भावनात्मक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है. इस भाव का कारक ग्रह भी चंद्रमा ही है, जिससे यह जल तत्व का स्थान माना जाता है. मन की शांति, ठंडक और सर्द प्रकृति का आकलन भी इसी भाव से किया जाता है.
गृहस्थी के सुख और जीवन का दूसरा चरण
चतुर्थ भाव जीवन के दूसरे हिस्से में मिलने वाले सुखों को दर्शाता है. यह गृहस्थ जीवन के सुख, मकान, वाहन, और संपत्ति का भी प्रतिनिधि है. यदि इस भाव में शुभ ग्रह हों, तो जातक को अपने गृहस्थ जीवन में सुख, शांति, और संतोष की प्राप्ति होती है. मकान, वाहन, और जायदाद से संबंधित मामलों का भी इस भाव से आकलन किया जाता है. इसके साथ ही, चतुर्थ भाव से जीवन के दूसरे चरण यानी युवावस्था के सुख-दुख का भी पता चलता है.
मातृभाव और ननिहाल से संबंध
चतुर्थ भाव का गहरा संबंध माता और मातृत्व से भी है. यह भाव जातक की माता की स्थिति, उनके स्वास्थ्य, और उनसे संबंधों का प्रतीक है. यदि चतुर्थ भाव में शुभ ग्रह स्थित हों, तो जातक की माता का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और उनके साथ संबंध भी मधुर होते हैं. इसके विपरीत, अशुभ ग्रहों की स्थिति में माता के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. साथ ही, ननिहाल की आर्थिक स्थिति और मामाजी से जुड़े मामलों का भी इस भाव से आकलन किया जा सकता है.
चतुर्थ भाव और स्वास्थ्य
चतुर्थ भाव का संबंध व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से भी होता है. इस भाव से मानसिक विकार, भय, मिरगी और पागलपन जैसी समस्याओं का आकलन किया जाता है. यदि इस भाव में अशुभ ग्रह हों, तो जातक को नींद न आने की समस्या, मानसिक अस्थिरता
और रात्रि में डर का अनुभव हो सकता है. इसके विपरीत, शुभ ग्रहों की स्थिति में व्यक्ति को अच्छी नींद, सुखद समाचार और मानसिक शांति प्राप्त होती है.
चतुर्थ भाव का चंद्रमा से संबंध
चूंकि चतुर्थ भाव का स्वामी ग्रह चंद्रमा है, इसका गहरा संबंध रात और नींद से होता है. यदि इस भाव में शुभ ग्रह हों, तो जातक को रात्रि में अच्छी नींद आती है और शुभ समाचार भी अक्सर रात में ही प्राप्त होते हैं. इसके विपरीत, अशुभ ग्रहों की स्थिति में जातक को नींद न आना, मानसिक तनाव और भय जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
अन्य पहलू: वाहन, नेतृत्व, और स्थानांतरण
चतुर्थ भाव वाहन, स्थानांतरण, जन-सेवा, और नेतृत्व के गुणों का भी प्रतिनिधि है. यह भाव दर्शाता है कि जातक के पास वाहन है या नहीं और उसका जीवन में नेतृत्व और जन-सेवा के प्रति क्या दृष्टिकोण है. स्थानांतरण या घर बदलने जैसी घटनाओं का भी आकलन इस भाव से किया जाता है. इसके अलावा, यह भाव जातक के स्वार्थ, शत्रुता, और पारिवारिक जीवन में आने वाले संघर्षों का भी संकेत देता है.
कुण्डली का चतुर्थ भाव व्यक्ति के जीवन में भावनाओं, कामनाओं, मातृत्व, और गृहस्थी के सुखों का गूढ़ रहस्य समेटे हुए है. यह भाव न केवल बाहरी संपत्ति और मकान का प्रतिनिधित्व करता है, बल्कि व्यक्ति की आंतरिक शांति, मानसिक स्वास्थ्य, और आत्मिक संतुलन का भी प्रतीक है. चंद्रमा के प्रभाव के कारण यह भाव रात, नींद और मानसिक स्थिरता से गहराई से जुड़ा हुआ है.



