कुण्डली के तृतीय भाव से जानें परिश्रम, पराक्रम और छोटे भाई-बहनों का गूढ़ रहस्य: मंगल और बुध के प्रभाव से समझें जातक के जीवन की दिशा

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Shashishekhar Tripathi 

ज्योतिषशास्त्र में तृतीय भाव को कर्मभाव या पराक्रम भाव कहा जाता है, जो व्यक्ति के साहस, परिश्रम और आत्मबल का प्रतीक है. यह भाव जातक के जीवन में उसकी जिम्मेदारी, परिश्रम और कठिनाइयों का सामना करने की क्षमता को दर्शाता है. इसके साथ ही, तृतीय भाव व्यक्ति के छोटे भाई-बहनों, उनकी आर्थिक स्थिति और जातक के उनसे संबंधों का भी कारक होता है. 

 परिश्रम और पराक्रम का भाव

तृतीय भाव से जातक के जीवन में मेहनत और परिश्रम का आकलन किया जाता है. यह भाव बताता है कि व्यक्ति कितना साहसी है और कठिन परिस्थितियों में किस प्रकार से कार्य करता है. यदि इस भाव में शुभ ग्रह स्थित हों, तो व्यक्ति अपने परिश्रम का भरपूर फल प्राप्त करता है और समाज में उसकी पहचान एक कर्मठ और जिम्मेदार व्यक्ति के रूप में होती है. परंतु, यदि इस भाव में अशुभ ग्रह स्थित हों, तो चाहे व्यक्ति कितना भी परिश्रम करे, उसे उसके परिश्रम का पूर्ण फल नहीं मिलता.

 मंगल और बुध का प्रभाव

तृतीय भाव का कारक ग्रह मंगल है, जो साहस, शक्ति और पराक्रम का प्रतीक है. मंगल जातक को साहसी और ऊर्जावान बनाता है. इसी भाव में बुध भी स्थित होता है, परंतु मंगल के प्रभाव के कारण बुध यहाँ कमजोर हो जाता है और शुभ फल देने में सक्षम नहीं रहता. बुध बुद्धिमत्ता और संवाद का ग्रह है, लेकिन मंगल की शक्ति के सामने वह अपनी क्षमता खो देता है. तृतीय भाव में मेष, वृश्चिक और मकर राशि का मंगल अत्यंत शुभ माना जाता है, जो जातक को पराक्रमी और साहसी बनाता है.

 छोटे भाई-बहनों और संबंधों का भाव

तृतीय भाव से छोटे भाई-बहनों की स्थिति का पता चलता है. यदि इस भाव में शुभ ग्रह स्थित हों, तो जातक के छोटे भाई-बहनों से संबंध मधुर होते हैं और उनकी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होती है. इसके विपरीत, अशुभ ग्रहों की स्थिति में भाई-बहनों से विवाद, दूरियां या आर्थिक तंगी की स्थिति हो सकती है. 

उत्साह और जीवन के उतार-चढ़ाव

तृतीय भाव जातक के जिम्मेदार होने और फर्ज निभाने की हद को भी दर्शाता है. इस भाव से व्यक्ति की क्षमता और इच्छाशक्ति का आकलन होता है. यह भाव जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव और संघर्षों का प्रतीक भी है. जातक के उत्साह, स्फूर्ति और जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने की क्षमता इसी भाव से जानी जा सकती है, साथ ही यह भाव चोरी और बीमारियों से जुड़े संकेत भी देता है.

 यात्रा, लेखन और रिश्तेदार

तृतीय भाव से जातक की छोटी-छोटी यात्राएँ, हवाई यात्रा और लेखन कला का भी आकलन किया जाता है. यह भाव बताता है कि व्यक्ति किस हद तक यात्रा करेगा और उसकी लेखन कला में कितनी क्षमता है. इसके अतिरिक्त, रिश्तेदारों की आर्थिक स्थिति का भी पता इसी भाव से चलता है. मकान के भीतर रखी गई वस्तुओं और उनके सुरक्षा का भी यह भाव कारक होता है.

 स्वास्थ्य और शारीरिक स्थिति

स्वास्थ्य की दृष्टि से तृतीय भाव आँखों की पलकें, जिगर, खून की मात्रा और खून में ऑक्सीजन की स्थिति को दर्शाता है. इसके अलावा, रक्त दोष और अन्य खून से संबंधित समस्याओं का भी संकेत तृतीय भाव से मिलता है. यह भाव जातक की आयु, विशेषकर यौवन अवस्था का भी प्रतिनिधित्व करता है.

कुण्डली का तृतीय भाव व्यक्ति के परिश्रम, पराक्रम, छोटे भाई-बहनों और जीवन की कठिनाइयों से जुड़े कई पहलुओं का गहन विश्लेषण करता है. इसके माध्यम से व्यक्ति के जीवन में साहस, परिश्रम, जिम्मेदारी और यात्रा का आकलन किया जा सकता है. मंगल और बुध के प्रभाव से यह भाव व्यक्ति की शक्ति, उत्साह और रिश्तों पर भी महत्वपूर्ण असर डालता है.

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