महादेव ने गणेश जी को चतुर्थी का स्वामी बना दिया था, इसी कारण प्रतिपदा से लेकर पूर्णिमा और अमावस्या तिथियों में चतुर्थी तिथि को गणेश चौथ या चतुर्थी के नाम से जाना और मनाया जाता है।
Ganesh Chaturthi 2025 : तिथियों में चतुर्थी तिथि का गणेश जी से गहरा कनेक्शन है, कोई अन्य तिथि उनके नाम से नहीं जानी जाती है। वास्तव में महादेव ने गणेश जी को चतुर्थी का स्वामी बना दिया था, इसी कारण प्रतिपदा से लेकर पूर्णिमा और अमावस्या तिथियों में चतुर्थी तिथि को गणेश चौथ या चतुर्थी के नाम से जाना और मनाया जाता है । भगवान शिव ने कहा है कि गणेश चतुर्थी के दिन अत्यंत श्रद्धा भक्ति से गजमुख को प्रसन्न करने के लिए व्रत, पूजन एवं गणेश गान करने से विघ्नों का सदा के लिए नाश हो जाता है और समस्त कार्य सिद्ध हो जाते हैं। आइए जानते है किस तरह से गणेश चतुर्थी की हुई शुरुआत और इस विशेष दिन पर गणेश जी की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए क्या करें खास।
इस तरह गणपति उत्सव की हुई शुरुआत
गणेश पुराण के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी के मध्याह्न में भगवान गणेश का पूजन करना चाहिए। माता पार्वती ने इसी समय पुत्र के रूप में गणेश जी का आह्वान किया था इसलिए इस दिन गणपति का प्राकट्य दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी का त्योहार 27 अगस्त बुधवार के दिन मनाया जाएगा।
महादेव के आशीर्वाद से बने, प्रथम पूज्य
देवाधिदेव महादेव और पार्वती जी के पुत्र गजानन का माता-पिता के प्रति समर्पण देख प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने अपने परमवीर, परम बुद्धिमान पुत्र गणेश को अनेक वर देते हुए कहा, विघ्नों का नाश करने वालों में तुम्हारा नाम सर्वोपरि होगा, तुम सबके पूज्य होंगे, संपूर्ण गणों के अध्यक्ष का पद तुम्हें प्राप्त होगा, सभी देवताओं में सबसे पहले तुम्हारी ही पूजा की जाएगी। बिना तुम्हारी पूजा के भक्त को कोई भी फल नहीं प्राप्त होगा।
क्या करें चतुर्थी के दिन
चतुर्थी तिथियों की मां है। यूं तो प्रत्येक मास में दो चतुर्थी पड़ती है, जिनमें गणेश जी का पूजन करना चाहिए किंतु शुक्ल पक्ष में उनका प्राकट्य होने के कारण शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का महत्व अधिक हो जाता है। इस दिन गणेश जी का वस्त्र, फूल माला पहनाकर श्रृंगार करे। गन्ने के टुकडे़, गुड़, मोदक, कैथा और फलों में जामुन का भी भोग लगा सकते हैं, दूर्वा की माला पहनाएं या फिर उन पर दूर्वा चढ़ाएं, धूप दीप आदि दिखा कर गणेश सहस्त्रनाम का पाठ करें, इसके अलावा ऊं गं गणपतये नमः मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।