Badrinath Temple : चार धामों में से एक बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, जो देवभूमि उत्तराखंड में स्थित है. आद्य शंकराचार्य की तपोभूमि बद्रीनाथ को बद्री नारायण और बद्री विशाल भी कहा जाता है, जहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं.
बद्रीवृक्ष प्रकट करने से पड़ा नाम
कहा जाता है कि भगवान विष्णु पृथ्वी लोक में किसी शांत स्थान की तलाश कर रहे थे, जहां पर वे ध्यान कर सकें. उन्हें बद्रीनाथ स्थल अपने अनुकूल लगा क्योंकि वहां अखंड शांति थी, यहीं पर विष्णु जी ध्यान में इतना गहरे डूबे कि उन्हें कड़ाके की ठंड का भी आभास नहीं हुआ. उनकी पत्नी देवी लक्ष्मी ने उन्हें खराब मौसम से बचाने के लिए बद्री वृक्ष को प्रकट किया. ध्यान पूर्ण होने के बाद उन्होंने लक्ष्मी जी की भक्ति से प्रभावित हो कर इस स्थान का नाम बद्रीकाश्रम रखा. विष्णु पुराण, महाभारत और स्कंद पुराण में इस स्थल का उल्लेख है. एक अन्य प्राचीन ग्रंथ के अनुसार इस स्थल पर धर्म के पुत्र नर और नारायण अपना आश्रम बनाने के लिए इस स्थान पर आए थे. दोनों ही भगवान विष्णु का अवतार माने जाते हैं. जब वे अलकनंदा के झरनों वाले स्थान पर पहुंचे तो देख कर प्रसन्न हुए कि आश्रम के लिए यही स्थान श्रेष्ठ है. यहां पर स्थित विष्णु जी की प्रतिमा को बद्रीविशाल कहा जाता है, जिसे स्वयंभू माना जाता है. भगवान विष्णु को ही समर्पित पास के अन्य चार मंदिरों योगध्यान बद्री, भविष्य बद्री, वृद्ध बद्री और आदि बद्री के साथ जोड़कर पूरे समूह को पंच बद्री के रूप में जाना जाता है. मंदिर का निर्माण 8 वीं शताब्दी में कराया गया था. मंदिर में शालिग्राम शिला से निर्मित बद्रीनाथ की मूर्ति स्थापित की गई है.
