पूर्णिमा का उपवास करने से होते हैं चंद्रमा प्रसन्न, मिलती है मानसिक शांति

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Shashishekhar Tripathi 

हिंदू धर्म में व्रतों का विशेष स्थान है और चंद्रमा व्रत उन प्रमुख व्रतों में से एक है जो मानसिक शांति, व्यापार में उन्नति और इच्छित कार्यों की सिद्धि में सहायता करता है. चंद्रमा का प्रभाव व्यक्ति के मानसिक, भावनात्मक और भौतिक जीवन पर गहरा होता है. इस व्रत के माध्यम से मानसिक और शारीरिक संतुलन के साथ-साथ जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी सकारात्मक परिवर्तन आते हैं. यदि इसे सही तरीके से और संकल्प के साथ किया जाए, तो यह जीवन में समृद्धि और सफलता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम साबित होता है. इस वर्ष 16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा, जो खास महत्त्व रखता है.

पूर्णिमा का समय 

16 अक्टूबर को रात 8ः42 से पूर्णिमा तिथि लग जाएगी, जो अगले दिन 17 अक्टूबर शाम 4ः57 तक रहेगी.  इसलिए पूर्णिमा का व्रत 16 अक्टूबर को रखा जाएगा .

शरद पूर्णिमा: अमृत समान चंद्र किरणों का दिन

शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की 16 कलाएँ पूर्ण होती हैं, और इस दिन की विशेष महत्ता है. मान्यता है कि चंद्रमा की किरणों में अमृत समान ऊर्जा होती है, जो स्वास्थ्य, सुख और शांति प्रदान करती है. इस दिन विशेष रूप से खीर बनाई जाती है और उसे रात भर खुले आकाश के नीचे रखा जाता है, ताकि चंद्रमा की अमृतमयी किरणों का आशीर्वाद प्राप्त हो सके. यह खीर मन और शरीर दोनों के लिए लाभकारी होती है और इसे ग्रहण करने से मानसिक और शारीरिक संतुलन में सुधार आता है.

चंद्रमा व्रत: हर पूर्णिमा का व्रत

चंद्रमा व्रत को केवल शरद पूर्णिमा पर ही नहीं, बल्कि प्रत्येक पूर्णिमा के दिन भी रखा जा सकता है. पूर्णिमा का व्रत चंद्रमा के अशुभ प्रभावों को कम करने का एक महत्वपूर्ण उपाय माना जाता है. इस व्रत से जीवन में मानसिक शांति और संतुलन आता है. नियमित रूप से इस व्रत का पालन करने से चंद्र दोष दूर होता है और व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है.

व्रत के नियम: कैसे करें चंद्रमा व्रत

चंद्रमा व्रत को मुख्य रूप से दो प्रकार से किया जा सकता है—54 सोमवार या 10 सोमवारों तक. सोमवार का दिन चंद्रमा से संबंधित होता है और इस दिन व्रत रखने से चंद्र देवता शीघ्र प्रसन्न होते हैं. व्रत के दौरान श्वेत वस्त्र धारण करना और चंद्रमा मंत्र का जाप करना आवश्यक माना जाता है. ‘ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्राय नम:’ मंत्र का जाप चंद्रमा की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है, जिससे मानसिक शांति और जीवन में संतुलन आता है.

व्रत के दौरान भोजन: सात्विक आहार का महत्त्व

चंद्रमा व्रत के दौरान सात्विक भोजन का विशेष महत्त्व है. इस व्रत में नमक रहित भोजन ग्रहण किया जाता है और दही, दूध, चावल, चीनी, और घी से बने सात्विक पदार्थों का सेवन किया जाता है. यह आहार शरीर और मन दोनों को शुद्ध करता है और व्रत का प्रभाव अधिक प्रभावी बनाता है. सात्विक भोजन से मन की शांति और मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है.

व्रत के लाभ: मानसिक शांति और व्यापार में उन्नति

चंद्रमा व्रत से व्यापार में प्रगति होती है और व्यवसाय से जुड़ी समस्याएँ धीरे-धीरे समाप्त होती हैं. यह व्रत मानसिक शांति और चिंता को दूर करने में भी विशेष लाभकारी होता है. जो लोग मानसिक अशांति, तनाव, या अवसाद से जूझ रहे होते हैं, उन्हें इस व्रत के माध्यम से मानसिक स्थिरता और शांति प्राप्त होती है. विशेष कार्यों की सिद्धि में भी यह व्रत सहायक होता है और इसे संजीवनी के रूप में देखा जाता है.

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