Bhishma Denial: विचित्रवीर्य के निधन के बाद भीष्म ने भी जब वंश चलाने से कर दिया इनकार, तो जानिए माता सत्यवती ने कौन सा रास्ता निकाला

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विचित्रवीर्य के निधन के बाद भीष्म ने भी जब वंश चलाने से कर दिया इनकार, तो जानिए माता सत्यवती ने कौन सा रास्ता निकाला।

Bhishma Denial : हस्तिनापुर के सम्राट महाराज शांतनु की पत्नी सत्यवती ने दो पुत्रों को जन्म दिया जिनमें एक था चित्रांगद और दूसरा विचित्रवीर्य। चित्रांगद तो उसी के नाम के गंधर्व चित्रांगद से युद्ध में मारा गया तो विचित्रवीर्य ने राजसत्ता संभाली किंतु वह काशी नरेश की पुत्री अम्बिका और अम्बालिका के साथ विवाह के बाद उन्हीं के साथ काम वासना में डूबा रहा। अत्यधिक विष सेवन करने के कारण वह गंभीर रूप से बीमार हो गया। राज वैद्य ने परीक्षण करने के बाद बताया कि इसे क्षय रोग हो गया है, उन्होंने इलाज तो बहुत किया किंतु वह ठीक नहीं हो सका और चल बसा। 

माता सत्यवती ने भीष्म को बुला कर कहा कि अब वंश रक्षा का भार तुम्हारे ऊपर ही है

भीष्म ने अपनी प्रतिज्ञा दोहराई

विचित्रवीर्य के निधन के बाद हस्तिनापुर का साम्राज्य वंश विहीन हो गया तो माता सत्यवती ने भीष्म को बुला कर कहा कि अब वंश रक्षा का भार तुम्हारे ऊपर ही है। तुम्हें काशी नरेश की पुत्रियों और विचित्रवीर्य की पत्नियों के साथ संतान उत्पन्न करना चाहिए ताकि इस वंश की रक्षा हो सके। इस पर भीष्म ने माता सत्यवती के हाथ जोड़ते हुए अपनी प्रतिज्ञा याद दिलाते हुए कहा, भूमि अपनी सुगंध छोड़ दे, जल अपनी तरलता छोड़ दे, वायु स्पर्श छोड़ दे, सूर्य प्रकाश छोड़ दे और इंद्र अपना बल त्याग दें तो भी मैं अपनी प्रतिज्ञा पर अटल हूं और उसे नहीं छोड़ सकता। 

माता सत्यवती ने व्यास का किया आह्वान  

भीष्म द्वारा अंतिम सांस तक अविवाहित रहने की प्रतिज्ञा को दोहराया तो माता सत्यवती परेशान हो उठीं। कुछ देर गहरी सोच में डूबने के बाद उन्होंने भीष्म के साथ सलाह की और निश्चय कर ऋषि पाराशर के साथ उत्पन्न पुत्र कृष्णद्वैपायन व्यास का आह्नान किया। व्यास जन्म के बाद ही मां से आशीर्वाद लेकर तप करने यह कह कर चले गए थे कि जब आप याद करेंगी मैं उपस्थित हो जाऊंगा। व्यास ने आते ही मां का प्रणाम कर कहा, मां बताएं मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं, आपने मुझे किस प्रयोजन से बुलाया है।  

व्यास ने माना अपनी माता का वंश चलाने का आदेश

व्यास के आने पर माता सत्यवती ने कहा, बेटा मैंने तुम्हें एक विशेष कार्य के लिए बुलाया है। तुम्हारा भाई विचित्रवीर्य निसंतान ही मर गया, अब वंश चलाने की जिम्मेदारी तुम्हारी है इसलिए तुम उसकी पत्नियों अम्बिका और अम्बालिका से पुत्रों को जन्म दो। व्यास ने माता के आदेश को स्वीकार करते हुए अम्बिका से धृतराष्ट्र और अम्बालिका से पांडु को उत्पन्न किया। अपनी अपनी माताओं के दोष के कारण धृतराष्ट्र नेत्रहीन और पांडु पांडु रोग से पीड़ित हो गए। इन स्थितियों में अम्बिका की प्रेरणा से उसकी दासी ने व्यास जी के माध्यम से विदुर को जन्म दिया।

 

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