सूर्य नारायण ग्रहों के राजा कहे जाते हैं. उनका व्रत सभी तरह की मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए किया जाता है, सूर्य की अनुकूलता से व्यक्ति के मान सम्मान में वृद्धि होने के साथ ही शत्रु का नाश होता है. उनका व्रत रविवार को किया जाता है क्योंकि सूर्यदेव रविवार के अधिपति हैं. रविवार का व्रत स्वास्थ्य के लिए भी उत्तम माना जाता है, त्वचा और कुष्ठ रोग से पीड़ित लोग रोग से मुक्ति पाने के लिए सूर्य देव का व्रत रखते हैं.
व्रत करने की विधि
सूर्यदेव का व्रत करने के लिए व्यक्ति प्रातःकाल स्नान आदि से निवृत्त हो कर साफ-सुथरे कपड़े धारण करता है. पूजा के स्थान को धो पोंछ कर अथवा गाय के गोबर से लीप कर सूर्यदेव की पूजा करनी चाहिए. रविवार के दिन व्रत करने वाले को एक बात का ध्यान रखना होता है, कि उस दिन उसे नमक तथा तेल से बना हुआ भोजन नहीं करना है. इस दिन एक और खास बात का ध्यान रखना है कि बिना नमक यानी मीठी चीजें तो भोजन के रूप में ग्रहण करनी ही होती हैं, उन्हें सूर्यास्त के पहले ही खा लेना चाहिए. सूर्य की उपस्थिति में ही उन्हें प्रणाम कर भोजन ग्रहण करते हुए आरोग्यता और मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करनी चाहिए. यदि किन्हीं कारणों से सूर्यास्त के पहले व्रती भोजन नहीं कर पाते हैं, तो फिर उसे उस दिन भोजन नहीं करना चाहिए. दूसरे दिन सूर्योदय के समय सबसे पहले उन्हें अर्ध्य दें और भगवान भास्कर से भूल चूक हो जाने पर क्षमा करने की प्रार्थना करने के बाद ही भोजन ग्रहण करें. रविवार के दिन व्रती को प्रातः काल जागने के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद कथा का पाठ या कथा को सुनना चाहिए. जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर हैं उन्हें भी यह व्रत करना चाहिए, मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान सूर्यदेव व्रती को उत्तम फल प्रदान करते हैं.



