पंचक: नकारात्मक धारणाओं से लेकर शुभ कार्यों तक, क्या करें और क्या नहीं?

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जैसे ही हम “पंचक” शब्द सुनते हैं, एक नकारात्मक भाव मन में उभरता है. अधिकतर लोग पंचक का नाम किसी के निधन के संदर्भ में सुनते हैं और मानते हैं कि यह काल अशुभ होता है. पंचक शब्द का संबंध ‘पांच’ से है और ऐसा माना जाता है कि इस समय में पांच जगहों से अशुभ समाचार मिल सकते हैं या पांच अंत्येष्टि समारोह में शामिल होना पड़ सकता है. इसलिए जब भी किसी का निधन होता है, तो लोग सबसे पहले पंचक का ध्यान रखते हैं. यदि पंचक हो तो उससे निपटने के उपाय भी किए जाते हैं.

लेकिन क्या पंचक सिर्फ नकारात्मक ही है? क्या हम इसे शुभ कार्यों में उपयोग नहीं कर सकते? इस लेख में हम पंचक का अर्थ, इससे जुड़ी भ्रांतियों और पंचक के दौरान किए जाने वाले और वर्जित कार्यों की विस्तृत जानकारी देंगे.

पंचक क्या है? 
पंचक पांच नक्षत्रों के समूह को कहा जाता है, जिनमें धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्र शामिल होते हैं. पंचक तब बनता है जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि में होता है और यह पांच दिनों तक रहता है. इन नक्षत्रों की शक्ति क्रमिक रूप से बढ़ती है, जो धनिष्ठा से शुरू होकर रेवती नक्षत्र में अपने चरम पर पहुंचती है.

पंचक को लेकर आम भ्रांतियां 
पंचक को लेकर कई लोगों में भ्रम है कि इस समय शुरू किए गए कार्यों को पांच बार दोहराना पड़ता है. इसके अलावा, यह भी माना जाता है कि पंचक में शुभ कार्य नहीं किए जा सकते. परंतु वास्तविकता यह है कि पंचक का संबंध विशेष रूप से अंतिम संस्कार से है, न कि व्यक्ति की मृत्यु के समय से. 

पंचक के दौरान क्या न करें? 
पंचक के दौरान कुछ विशेष कार्यों को वर्जित माना जाता है, जैसे:
– घास या लकड़ी का फर्नीचर खरीदना.
– खटिया बुनना या फर्नीचर बनवाना.
– दक्षिण दिशा की यात्रा करना क्योंकि यह यम की दिशा मानी जाती है.
– पंचक में अस्पताल में भर्ती होना या ऑपरेशन कराना भी टाला देना चाहिए, जब तक कि इमरजेंसी न हो.

पंचक में क्या कर सकते हैं?
पंचक के दौरान कुछ कार्य शुभ माने जाते हैं, जिनमें शामिल हैं:
– गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, भूमि या भवन की रजिस्ट्री करना.
– नए व्यापार की शुरुआत, मुंडन संस्कार और उपनयन संस्कार भी पंचक में किए जा सकते हैं.
– विशेष रूप से उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र को शुभ मुहूर्त के लिए प्रयोग किया जाता है.

 पंचक का वास्तविक अर्थ और इसका महत्व 
पंचक का सीधा संबंध रिपीटेशन से है, यानी इस दौरान किए गए कार्यों की पुनरावृत्ति होती है. यदि यह पुनरावृत्ति सुखद हो, तो यह समृद्धि का सूचक है और यदि दुखद हो, तो अशुभ माना जाता है. इसलिए पंचक के समय शुभ कार्य करने में कोई दोष नहीं है, बस सही समझ और जानकारी होनी चाहिए.

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