द्वादश भाव: मोक्ष और भोग के साथ शारीरिक और मानसिक स्थिति का भी देता है संकेत

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Shashishekhar Tripathi 

ज्योतिषशास्त्र में द्वादश भाव को मोक्ष-प्राप्ति का प्रतीक माना गया है. यह जीवन में उपलब्धि और आत्मिक विकास का संकेत देता है. द्वादश भाव भोग-स्थान और व्यय-स्थान के रूप में भी जाना जाता है. आइए, इस भाव के विभिन्न पहलुओं को समझते हैं और जानते हैं कि यह हमारे जीवन पर कैसे प्रभाव डालता है.

मोक्ष की प्राप्ति

द्वादश भाव को मोक्ष का स्थान माना जाता है. जब मनुष्य सभी भौतिक सुखों का अनुभव कर लेता है, तब मोक्ष की प्राप्ति की आवश्यकता शेष रह जाती है. यह भाव दर्शाता है कि व्यक्ति ने अपनी आत्मा की शुद्धि के लिए क्या किया है और वह मोक्ष के मार्ग पर कितना अग्रसर है.

भोग और व्यय

द्वादश भाव भोग-स्थान है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि जातक अपने जीवनसाथी से कितना सुख पाएगा. यदि इस भाव में शुभ ग्रह होते हैं, तो जातक को भोग-विलास का अनुभव मिलता है, जबकि अशुभ ग्रह होने पर विपरीत स्थिति होती है. 

 ग्रहों का प्रभाव

कालपुरुष की कुण्डली के अनुसार, द्वादश भाव में मीन राशि होती है, जिसका स्वामी ग्रह बृहस्पति है. बृहस्पति के प्रभाव से यह भाव ज्ञान, समृद्धि और आशीर्वाद का प्रतीक है. शुक्र यहाँ उच्च फल देता है, जिससे यह भाव भोग-विलास से जुड़ता है. इसके विपरीत, बुध नीच फल देता है, जिससे व्यक्ति के खर्च और व्यय में वृद्धि हो सकती है.

 शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य

यह भाव शरीर के पैरों और बायीं आँख की स्थिति को दर्शाता है. साथ ही यह जातक के मानसिक स्वास्थ्य और विश्राम की गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है. रात्रि में जातक कितना आराम पाएगा, यह भी इस भाव के शुभ या अशुभ होने पर निर्भर करता है. 

 वातावरण और दृष्टिहानि

द्वादश भाव का संबंध उन विचारों से होता है, जो जातक की सोच से नहीं, बल्कि उसके आसपास के माहौल से उत्पन्न होते हैं. इसे आशीर्वाद और शाप का घर भी कहा जाता है. यह दृष्टिहानि, पैरों में चोट, जल से हानि और जीवनसाथी का अन्यत्र लगाव जैसी स्थितियों का भी संकेत देता है.

पड़ोसी और घर

इस भाव से यह पता चलता है, कि जातक का पड़ोसी आर्थिक रूप से कैसा होगा. शुभ ग्रह होने पर अच्छे पड़ोसी मिलेंगे, जबकि अशुभ ग्रह होने पर विपरीत स्थिति हो सकती है. यह भाव घर के आंतरिक हिस्से की स्थिति को भी दर्शाता है, जहां शुभ ग्रहों की उपस्थिति चहल-पहल वाला घर बनाती है.

द्वादश भाव जीवन के अंतिम चरण में मोक्ष की ओर ले जाने वाला महत्वपूर्ण स्थान है. यह भोग और व्यय, मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक संबंध और समग्र जीवन के अनुभव को निर्धारित करता है. इस भाव का अध्ययन हमें जीवन की गहराई और इसके विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करता है, जिससे हम अपने आध्यात्मिक विकास की दिशा में अग्रसर हो सकें. इस प्रकार, द्वादश भाव से हमें हमारे पूर्वजन्म, इस जन्म, और भावी स्थितियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है, जो हमारे जीवन के समग्र विकास के लिए आवश्यक है.

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