सूर्यग्रहण और उसके अगले दिन नवरात्रि का त्योहार शुरु होने के कारण लोगों में कुछ भ्रम है. दरअसल ग्रहण स्पर्श के कुछ घंटों पहले से ही सूतक लग जाता है.
Surya Grahan 2025 : वर्ष 2025 का अंतिम ग्रहण पड़ने वाला है, जो कि एक खंडग्रास सूर्यग्रहण है. यह ग्रहण नवरात्रि के एक दिन पहले आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या अर्थात रविवार 21 सितंबर को होगा, जिसे खंडग्रास सूर्य ग्रहण की संज्ञा दी गयी है. सूर्यग्रहण और उसके अगले दिन नवरात्रि का त्योहार शुरु होने के कारण लोगों में कुछ भ्रम है. दरअसल ग्रहण स्पर्श के कुछ घंटों पहले से ही सूतक लग जाता है. सूतक काल में किसी तरह का मनोरंजन, खरीदारी, उत्सव और भगवान को स्पर्श करने की मनाही होती है. ऐसे में सभी देवी भक्त असमंजस में पड़ गए है कि वह सूर्यग्रहण के दौरान नवरात्रि की तैयारी कैसे करें और किस तरह वह शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करें. इस मामले में आपको किसी भी तरह का भ्रम पालने की जरूरत नहीं है, इस लेख में सब कुछ स्पष्ट है, बस आपको आखिरी लाइन तक लेख पढ़ना होगा. सबसे पहले सूर्य ग्रहण की बात करते हैं.
सूर्य ग्रहण का समय और सूतक
निर्णय सागर पंचांग के अनुसार इस बार सूर्य ग्रहण का स्पर्श रात में 11 बजे से होगा और मध्य रात में 01:12 मिनट पर होगा जबकि मोक्ष भारतीय समयानुसार रात 03: 24 मिनट पर होगा इस तरह सूर्य ग्रहण का प्रभाव करीब साढ़े चार घंटे तक रहने वाला है।
इन स्थानों पर दिखेगा ग्रहण
इस बार के सूर्य ग्रहण की एक और विशेषता है कि यह पैसिफिक और अटलांटिक ओसियन अर्थात प्रशांत और एटलस महासागर क्षेत्र के अलावा ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका में दिखाई पड़ेगा जबकि भारत में यह नहीं दिखेगा। भारत में न दिखने के कारण ग्रहण से संबंधित वेध, सूतक, स्नान, दान-पुण्य, कर्म यम नियम आदि नहीं माने जाएंगे. वैसे जिन जगहों पर ग्रहण दिखता है वहां पर ग्रहण के स्पर्श से ठीक 12 घंटे पहले से सूतक लग जाता है अर्थात इस दौरान भजन पूजन के अलावा अन्य सभी गतिविधियों में विराम लग जाता है. घर पर बैठकर भगवान का चिंतन मनन जरूर कर सकते हैं.
नवरात्रि तैयारी पर नहीं लगेगी रोक
भारत में सूर्य ग्रहण न दिखने के कारण ग्रहण का कोई भी नियम नहीं माना जाएगा. ऐसे में जिन स्थानों पर ग्रहण का प्रभाव नहीं है वह लोग आप पितृ विसर्जन करने के बाद, नवरात्रि की तैयारी बेफिक्र होकर सकते हैं. अगले दिन यानी 22 सितंबर को प्रातः उठ कर अपने घर पर विधि विधान से घट स्थापना कर मां दुर्गा की आस्था और श्रद्धा के साथ पूजन करें. नववर्ष के स्वागत में मुख्य द्वार पर आम के पत्तों और फूलों की बंदनवार लगाएं फिर एक दूसरे को नवरात्रि की शुभकामना भी दें.