कुरुवंश को चलाने का संकट हुआ पैदा तो किस तरह शांतनु की पत्नी सत्यवती ने निकाला हल, कौन थे व्यास और उन्होंने क्या किया
Kuruvansh : कुरुवंश के राजा शांतनु के स्पर्श की विशेषता थी कि वे जिस किसी वृद्ध को छू लेते थे, उसका यौवन ही नहीं लौटता था बल्कि उसे सभी सुख प्राप्त हो जाते जिनसे वह वंचित था। इसी विशेषता के कारण ही उनका नाम शान्तनु पड़ा अर्थात सुख का विस्तार करने वाला। उचित समय पर राजा शान्तनु का विवाह भागीरथी गंगा से हुआ जिनसे देवव्रत नाम के पुत्र का जन्म हुआ। यही देवव्रत महाभारत में भीष्म के नाम से प्रसिद्ध हुए क्योंकि भीष्म का व्रती या प्रतिज्ञाधारी होता है। उन्होंने हस्तिनापुर सिंहासन की रक्षा करने का संकल्प लेते हुए कभी विवाह न करने की शपथ ली थी।
देवव्रत की प्रतिज्ञा
शांतनु आखेट के लिए जंगलों की ओर जाते थे, ऐसे में एक दिन यमुना नदी के तट पर वो एक युवती पर मोहित हो गए। ये युवती मछुआरों के राजा दशराज की पुत्री मत्स्यगंधा थी क्योंकि उसके शरीर से मछलियों की महक आती थी। वैसे पिता ने उसका नाम सत्यवती रखा था। एक दिन राजा शांतनु ने सत्यवती के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा तो सत्यवती ने शर्त रख दी कि उससे उत्पन्न पुत्र ही राजा बनने का अधिकारी होगा। इस बात को लेकर राजा शांतनु चिंतित रहने लगे तो देवव्रत ने कारण पता लगाया। इस पर उन्होंने सबसे पहले सत्यवती के सामने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया और फिर अपने पिता के साथ उनका विवाह कराया।
सत्यवती के पुत्र
राजा शांतनु और सत्यवती के दो पुत्र हुए विचित्रवीर्य और चित्रांगद। चित्रांगद बचपन में ही गंधर्वों के साथ युद्ध में मारा गया। विचित्रवीर्य राजा हुए जिन्होंने अम्बिका और अम्बालिका के साथ विवाह किया लेकिन संतान होने के पहले ही उनका देहांत हो गया। उनकी माता सत्यवती को लगा कि अब तो वंश की समाप्त हो जाएगा तो उन्होंने अपने ही पुत्र वेदव्यास जिनका पूरा नाम कृष्ण द्वैपायन था को याद किया।
व्यास का आगमन
दरअसल एक बार ऋषि पाराशर की भेंट सत्यवती से यमुना नदी को पार करते समय हुई। सत्यवती की सुंदरता से मोहित होकर पाराशर ने उनसे पुत्र प्राप्ति की इच्छा व्यक्त की। इस तरह वेद व्यास का जन्म हुआ जो जन्म होते ही तप करने चले गए और माता से कहा कि वे जब भी याद करेंगी, उपस्थित हो जाएंगे। व्यास को बुलाकर माता सत्यवती ने पूरी स्थिति बताते हुए कहा कि तुम्हें विचित्रवीर्य के वंश की रक्षा करनी है। व्यास ने मां की बात को आज्ञा मान कर अम्बिका से ध्रतराष्ट्र, अम्बालिका से पाण्डु और दासी से विदुर को जन्म दिया और तीनों को वरदान देकर चले गए।