कुण्डली के सप्तम भाव से जानें विवाह, भागीदारी और जीवनसाथी का गूढ़ रहस्य: शुक्र और शनि के प्रभाव से समझें जातक के जीवन की दिशा

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Shashishekhar Tripathi 

ज्योतिषशास्त्र में सप्तम भाव को विवाह भाव या भागीदारी भाव कहा जाता है, जो जीवनसाथी, भागीदारी और सामाजिक संबंधों का प्रतीक है. यह भाव जातक के जीवन में संबंधों की गुणवत्ता, विवाह की स्थिति और अन्य महत्वपूर्ण साझेदारियों का भी कारक होता है. यहाँ हम इस भाव के विभिन्न पहलुओं का विस्तार से अध्ययन करेंगे, जिससे जातक की जीवन दिशा स्पष्ट हो सके.

 विवाह और जीवनसाथी का भाव

सप्तम भाव से जातक के विवाह की स्थिति का पता चलता है. यदि इस भाव में शुभ ग्रह स्थित हों, तो जातक को एक सुखद और समर्पित जीवनसाथी प्राप्त होता है. इसके विपरीत, अशुभ ग्रहों की स्थिति में विवाह में समस्याएँ आ सकती हैं, जैसे तलाक या विवाद. यह भाव विशेष रूप से पत्नी के कारक है और स्त्री की कुंडली में यह पति का कारक होता है. जातक के विवाह कितने होंगे, इसकी जानकारी भी इसी भाव से मिलती है.

 शुक्र और शनि का प्रभाव

सप्तम भाव का स्वामी ग्रह शुक्र है, जो प्रेम, सौंदर्य और समर्पण का प्रतीक है. शुक्र के प्रभाव से जातक को एक आकर्षक और संगठित जीवनसाथी प्राप्त हो सकता है. वहीं, शनि इस भाव में उच्च फल देता है, जो स्थिरता और जिम्मेदारी का प्रतीक है. शनि के प्रभाव से जातक दीर्घकालिक और सफल संबंध स्थापित कर सकता है. हालांकि, सूर्य का इस भाव में नीच फल देना, जातक के संबंधों में समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है.

भागीदारी और व्यापार

सप्तम भाव का एक महत्वपूर्ण पहलू व्यापारिक भागीदारी है. बुध ग्रह भी इस भाव का कारक है, जो व्यवसायिक संबंधों और साझेदारियों का प्रतिनिधित्व करता है. यदि इस भाव में बुध का प्रभाव शुभ हो, तो जातक अपने व्यापार में साझेदारियों के माध्यम से सफलता प्राप्त कर सकता है. 

 वैवाहिक सुख और सामाजिक संबंध

सप्तम भाव जातक के वैवाहिक सुख और समृद्ध घराने में विवाह के अवसरों को भी दर्शाता है. यदि इस भाव में शुभ ग्रह हैं, तो जातक को समृद्ध और खुशहाल वैवाहिक जीवन का अनुभव होता है. इसके अलावा, यह भाव बहुविवाह, प्रेम विवाह और विवाह का समय भी दर्शाता है. 

 पूर्वजन्म का भाग्य

सप्तम भाव की स्थिति यह भी बताती है कि जातक पूर्वजन्म के भाग्य का कितना अंश इस जन्म में लेकर आया है. यहाँ उपस्थित ग्रह के शुभ-अशुभ होने से जातक के जीवन की दिशा का आकलन किया जा सकता है. 

कुण्डली का सप्तम भाव विवाह, भागीदारी और जीवनसाथी से जुड़े कई पहलुओं का गहन विश्लेषण करता है. इसके माध्यम से व्यक्ति के जीवन में संबंधों की गुणवत्ता, व्यापारिक साझेदारियों और वैवाहिक सुख का आकलन किया जा सकता है. शुक्र और शनि के प्रभाव से यह भाव जातक के संबंधों, समर्पण, और सामाजिक स्थिति पर महत्वपूर्ण असर डालता है. यदि जातक इस भाव की स्थिति को समझता है, तो वह अपने जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो सकता है.

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