यम द्वितीया आज, बहनों के घर जाकर भाई टीका करा उन्हें गिफ्ट जरूर दें, जानें कब और किसने शुरु की भाई बहन के अटूट प्यार की परम्परा

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अमावस्या को दीपावली और कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा के बाद पंचदिवसीय दीपोत्सव की पूर्णता भाई दूज के साथ होती है. इसे यम द्वितीया भी कहते हैं. आइए जानते हैं इस पर्व को किस तरह मनाया जाता है और इसे यम द्वितीया क्यों कहा जाता है, बड़ी रोचक है एक भाई और बहन के प्यार की पौराणिक कथा. 

यमुना जी के घर यमराज का पहुंचना

हिंदू धर्म के सभी लोग इस बात को तो जानते हैं कि इस दिन बहनें अपने भाई का टीका करती हैं. टीका तो रक्षाबंधन पर भी करती हैं और भाई की कलाई में रक्षासूत्र बांध कर सुरक्षा का वचन भी लेती हैं लेकिन इस दिन भी भाई बहन के अटूट प्यार का महत्व बहुत अधिक है. यह परम्परा कितनी पुरानी है और इसे सबसे पहले किसने शुरु किया यह जानना भी जरूरी है. सूर्यदेव की पहली पत्नी से दो संताने पुत्र यमराज और पुत्री यमुना थी. सूर्यदेव की गर्मी न बर्दाश्त करने के कारण वह तो दूर ठंडे स्थान पर चली गयीं और अपनी जगह अपनी छाया को रख दिया, सूर्यदेव को इस बात की भनक भी नहीं लगी तो वह उसके साथ पत्नी का भाव रखने लगे जिससे ताप्ती और शनि का जन्म हुआ. छाया के व्यवहार से दुखी होकर यम ने यमपुरी नाम की नगरी बसाई और पापियों को दंड देने के अपने कार्य को करने लगे. इसे देख यमुना जी गोकुल में रहने चली गयीं लेकिन भाई बहन में प्रेम कम नहीं हुआ. यमुना जी हमेशा भाई से अपने घर पर आकर भोजन करने को कहती हैं लेकिन वह व्यस्तता के चलते टालते रहे. एक बार यमराज को बहन की याद आई तो अपने दूतों को यमुना जी के पास भेजा फिर वह मथुरा के विश्राम घाट पर मिलने पहुंचे. यमुना ने भाई का खूब स्वागत सत्कार कर भोजन कराया तो प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से वर मांगने को कहा. यमुना ने कहा जो लोग मेरे जल में स्नान करें उन्हें यमपुरी न जाना पड़े. यह वरदान नहीं दिया जा सकता था इसलिए यमराज जी असमंजस में पड़ गए जिसे देख यमुना जी ने दूसरा प्रस्ताव रखा आज के दिन जो भाई बहन के घर जाकर टीका कराएं और भोजन करें, साथ ही मथुरा के इस घाट पर स्नान करें उन्हें यमपुरी न जाना पड़े. यमराज ने बहन से कहा कि अब ऐसा ही होगा, उन लोगों को स्वर्ग की प्राप्ति होगी. उस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया थी. तभी से इस दिन भाई के बहन के घर जाकर टीका कराने की परम्परा पड़ गयी. 

यमुना नदी में भाई बहन के स्नान की परम्परा

कार्तिक शुक्ल द्विताया को मथुरा के यमुना नदी के विश्राम घाट पर भाई बहन के हाथ पकड़ कर स्नान करने वालों की भीड़ लगती है. स्नान के बाद श्रद्धालु पूजा पाठ करते हैं. स्नान के बाद नए वस्त्र पहन कर बहनें भाई के रोली का टीका कर भोजन कराती हैं और भाई उन्हें उनकी मनपसंद भेंट देते हैं. कुछ श्रद्धालु भाई बहन चंद्रदर्शन कर यमुना स्नान करते हैं. यम द्वितीया के दिन शाम को घर के बाहर चार बातियों वाला दीपक जलाकर दीप दान भी किया जाता है.

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