Mahalakshmi Temple, Ratlam :किसी भी मंदिर में पूजा अर्चना के बाद प्रसाद के रूप में लड्डू पेड़ा बर्फी और देवी मंदिरों में सुहाग का सामान आदि भक्तों को देने की बात तो आपको पता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत देश के ही एक मंदिर में दीपावली पर भक्तों को रुपयों और गहनों का प्रसाद मिलता है. यह पढ़कर आपको आश्चर्य जरूर लगेगा किंतु यह सच है. जी, हां मध्यप्रदेश के रतलाम में एक ऐसा ही मंदिर है जहां पर मां महालक्ष्मी के दर्शन कर आशीर्वाद मांगने के लिए पहुंचने वाले भक्त कभी भी खाली हाथ नहीं लौटते, उन्हें माता लक्ष्मी के इस मंदिर में दीपावली पर मिलता है गहनों और रुपयों का प्रसाद.
मंदिर का इतिहास और परम्परा
मध्यप्रदेश के रतलाम शहर के माणक में स्थित मां महालक्ष्मी का बहुत ही प्राचीन मंदिर है. रतलाम शहर को महाराजा रतन सिंह राठौड़ ने स्थापित किया था, जिनका जन्म 6 मार्च 1619 को हुआ था और युद्ध करते हुए उनकी मृत्यु 15 अप्रैल 1658 को हो गयी थी. मंदिर तो बहुत प्राचीन है किंतु उसका जीर्णोद्धार और भव्यता महाराजा के प्रयासों से मिली. बताते हैं दीपावली के पर्व पर महाराजा रतन सिंह धनतेरस वाले दिन माता के दरबार में श्रृंगार के लिए शाही खजाने से सोने चांदी के आभूषण और मुद्राएं चढ़ाया करते थे. यह परम्परा महाराजा के बाद भी स्थानीय लोगों ने जारी रखी.
इस तरह सजता है, कुबेर का दरबार
दीपावली पर मंदिर में पांच दिन का दीपोत्सव होता है जिसमें दूर-दूर से लोग धन की देवी मां महालक्ष्मी के दर्शनों के लिए आते हैं. गहनों और रुपयों से सजे मां के विग्रह का स्वरूप निराला ही रहता है. साल भर भक्त मंदिर में आकर करोड़ों रुपये के जेवर और नकदी चढ़ाने आते हैं, जिनसे दीपावली पर मंदिर को सजाया जाता है. फिर यही सामान भक्तों को प्रसाद के रूप में दे दिया जाता है. दीपावली के दिन मंदिर के कपाट 24 घंटे के लिए खुले रहते हैं. धनतेरस पर आने वाली महिला भक्तों को कुबेर की पोटली दी जाती है. महिलाओं को प्रसाद के रूप में मिलने वाली पोटली में श्री यंत्र, सिक्का, कौड़ियां, अक्षत और कुमकुम दिया जाता है, जिसे घर में रखना बहुत शुभ माना जाता है. मान्यता है कि मंदिर से मिले नोटों को पर्स और तिजोरी में रखने से बरकत होती है और वह कभी खाली नहीं होता. मंदिर से इस रूप में मिले मां महालक्ष्मी के प्रसाद को वह कभी खर्च नहीं करते हैं.
मंदिर प्रबंधन के पास रहता है, चढ़ावे का पूरा रिकॉर्ड
मंदिर में जब कभी कोई भक्त रुपये या जेवरातों की भेंट चढ़ाता है, तो उसे प्रबंधन अपने रजिस्टर में नोट कर लेता है और बदले में एक टोकन दे देता है. दीपावली पर उसी से मां को सजाने के साथ ही भाई दूज के बाद टोकन दिखाने पर भक्तों द्वारा मां के चरणों में चढ़ाए गए सामान को वापस कर दिया जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी उनके घर पर वास करने लगती हैं. बताया जाता है कि इस मंदिर में लगे आभूषणों की कीमत 100 करोड़ रुपए की है.
महालक्ष्मी के साथ इनकी मूर्तियां भी
रतलाम के महालक्ष्मी मंदिर में मां के साथ ही भगवान गणेश और मां सरस्वती भी विराजित हैं. कहते हैं बिना गणपति की आराधना के कोई भी देवी देवता प्रसन्न नहीं होते हैं और विद्या की देवी मां सरस्वती की आराधना भी आवश्यक है.