Vastu Tips For Married Life : संतान प्राप्ति में बाधक बनता है, इस दिशा में बना बेडरुम..संबंधों में भी बनी रहती है तकरार

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Vastu Tips For Married Life : शयन कक्ष घर का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है. देखा जाए तो व्यक्ति अपने जीवन का पचास फीसदी समय अपने शयन कक्ष में ही बिताता है. यदि शयन कक्ष की दिशा, आंतरिक साज-सज्जा, पलंग की स्थिति, लेटने की दिशा, वहाँ का चुंबकीय दबाव आदि सबकुछ वास्तु के नियमों के अनुसार हो, तो व्यक्ति के जीवन में आनंद, शक्ति, स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहती है.

मुखिया का शयन कक्ष 

घर के मुखिया का शयन कक्ष सबसे महत्वपूर्ण होता है. वास्तु के अनुसार यह कक्ष दक्षिण में होना चाहिए. ये दिशाएं शांति और विश्वास की होती हैं. यहाँ का शयन कक्ष मुखिया को शांति, आरोग्य और सुख प्रदान करता है. आराम से सोने के लिए यह स्थान सबसे उपयुक्त माना जाता है. 8 से 16 वर्ष की उम्र के बच्चों का शयन कक्ष पश्चिम दिशा में होना चाहिए, जिससे उनकी बुद्धि विकसित हो और शरीर में स्फूर्ति बनी रहे. कुंवारी कन्याओं का शयन कक्ष उत्तर और ईशान कोण में होना चाहिए, इससे उनके नारीत्व के विकास में सहायता मिलती है और शुभ संस्कार होते हैं. यदि भवन दो मंजिल का हो, तो मुखिया का शयन कक्ष ऊपर वाली मंजिल के नैऋत्य कोण में होना चाहिए. यहाँ घर के बड़े पुत्र का शयन कक्ष भी बनाया जा सकता है. ध्यान रहे कि पिता और पुत्र के शयन कक्ष ऊपर-नीचे नहीं होने चाहिए, क्योंकि इससे वैचारिक मतभेद हो सकते हैं और पुत्र द्वारा पिता की उपेक्षा की संभावना बढ़ जाती है.

नव दंपति का शयन कक्ष

नव दंपति के शयन कक्ष के लिए प्रसिद्ध वास्तु ग्रंथ विश्वकर्मा प्रकाश में उल्लेख है कि वायव्य और उत्तर के मध्य स्थित कक्ष नव दंपति के लिए सबसे उपयुक्त होता है. इससे जीवन में प्रेम बना रहता है और आरोग्य व संतति वृद्धि होती है.

कक्ष का द्वार दक्षिण में न खुले

शयन कक्ष का द्वार कभी भी दक्षिण दिशा की ओर नहीं खुलना चाहिए. खिड़कियाँ पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होनी चाहिए, ताकि ताज़ी हवा कक्ष में आती रहे. नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) में भारी सामान, अलमारी, या इनवर्टर अवश्य रखना चाहिए, ताकि कक्ष में चुंबकीय क्षेत्र विकसित हो, जिससे कम समय की नींद में भी थकान दूर हो जाती है.

शयन कक्ष में मिरर न हो

शयन कक्ष में मिरर नहीं होना चाहिए और यदि हो, तो इसे इस प्रकार रखें कि लेटने पर व्यक्ति को अपना प्रतिबिंब न दिखाई दे. शास्त्रों के अनुसार, सोते समय अपना प्रतिबिंब देखना जीवन शक्ति को खत्म करता है और इससे आयु क्षीण होती है.

शयन कक्ष में पूजा वर्जित

शयन कक्ष में पूजा स्थान नहीं होना चाहिए. देवताओं की मूर्तियाँ, फोटो, या कैलेंडर आदि भी वहाँ नहीं रखने चाहिए. 

पलंग दीवार से न सटाएं

शयन कक्ष में पलंग को दीवार से सटाकर नहीं रखना चाहिए. पलंग लकड़ी का होना चाहिए, लेकिन इसमें बबूल, पीपल, गूलर या किसी कांटेदार वृक्ष की लकड़ी का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे भयावह स्वप्न आते हैं और नींद में खलल होता है. पलंग का सिरहाना खिड़की के नीचे नहीं होना चाहिए, और ध्यान रहे कि सोते समय आपके ऊपर बीम न हो, अन्यथा रक्तचाप की समस्या हो सकती है. अटैच बाथरूम नैऋत्य कोण में होना चाहिए, क्योंकि राहु के स्थान पर गंदगी, शौच आदि स्वीकृत हैं.

ईशान में नवदंपति को न सुलाएं

उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण में शयन कक्ष हानिकारक होता है. यदि ईशान में नवदंपति का शयन कक्ष हो, तो संतान में बाधा आती है, और परिवार में कलह की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. यहाँ शयन कक्ष बनाने से परिवार में विघटन की संभावना रहती है और सिरदर्द जैसी समस्याएँ हो सकती हैं. ईशान में वास्तु पुरुष का मस्तिष्क होता है, इसलिए इस दिशा में केवल पूजा स्थल होना चाहिए.

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