Vastu Plant :वृक्ष कैसे लगाने चाहिए? किस मुहुर्त में लगाने चाहिए ? कौन-सा वृक्ष घर के बाहर लगाएं और कौन-सा घर के भीतर ? कौन अशुभ है और कौन शुभ?किन वृक्षों की लकड़ी में लगाने योग्य है, किस देवता पर कौन- सा पुष्प चढ़ाया जाए ? कौन-सा वृक्ष समृद्धकारी है तो कौन सा वृक्ष कलहकारी और कौन सा मृत्युकारी है? वृक्षारोपण के लौकिक और परलौकिक फल क्या हैं ? इस सारी बातों का विस्तृत वास्तु ग्रंथों में मिलता है. तो चलिए आज हम लोग इन्हीं बातों पर चर्चा करेंगें.
प्राचीन वास्तु ग्रंथो में भवन निर्माण के साथ-साथ यह भी वर्णन मिलता है कि भवन में कौन-सी लकड़ी का प्रयोग करना चाहिए, और किन वृक्षों की लकड़ी प्रयोग करने से हानि या लाभ होता है. यद्यपि नगरों में तो आजकल लोहा, प्लाई सनमाइका आदि का उपयोग अधिक होने लगा है. वास्तु सिद्धांतो के अनुरूप काष्ठ का प्रयोग लगों को असुविधाजनक लगने लगा है. किंतु फिर भी यथासंभव इनका लाभ उठाया जा सकता है. ग्रंथों में यह भी दिया गया है कि घर की किस दिशा में कौन-सा वृक्ष लगाना शुभ होता है. अतः वास्तु सिद्धांतों के अनुरूप वृक्ष लगा कर हम उनसे समृद्धि, संपन्नता आरोग्य व आयु इत्यादि का लाभ पा सकते हैं.
अशुभ वृक्ष
बबूल, खैर व बेर आदि कांटेदार वृक्ष घर के समीप रहने से शत्रु भय रहता है. अतः इन वृक्षों से बचना चाहिए. चंपा, गुलाब, जाति, केवड़ा मनीप्लांट शुभ होते हैं. अंगूर की बेल का मंडप, चंदन, अनार का वक्ष भी घर में शुभ परिणाम देते हैं.
शुभ वृक्ष
वास्तु के अनुसार घर के उत्तर में कैथा, पूर्व में बरगद, दक्षिण में गुलाब तथा पश्चिम में घर के बाहर पीपल का वृक्ष शुभ होता है. पाकड़ का दक्षिण में, बरगद का वृक्ष पश्चिम में, गुलर का वृक्ष उत्तर में और पीपल का पूर्व में अत्यधिक अशुभ माना जाता है. दूध वाले वृक्ष (पीपल, बरगद), लाल फूल वाले वृक्ष, कांटेदार वक्ष, पाकड़, सेमर और गुलर अग्निकोण में अत्यंत अशुभ परिणाम देते हैं. यह मृत्युकारक भी हो सकते हैं.
केला रहे अकेला
खजूरी, दांडिमी, केला, बदरी, बेर, नीबू जिस घर में रहेंगे वहां कलह अवश्य कराएंगे. केले के बारे में एक लोकोक्ति प्रचलित है कि केला रहे अकेला. पुराण कहते है कि निसंतान व्यक्ति यदि आम के वृक्षों का बाग लगवाए तो उसे श्रेष्ठ संतान मिलती है. जो व्यक्ति मार्ग के दोनों ओर सुंदर छायादार वृक्ष लगवाते हैं वह स्वर्ग में निवास करते है.
आपदा पीड़ित वृक्ष घातक
जिस वृक्ष पर बिजली गिरी हो उसकी लकड़ी घर नहीं लानी चाहिए. यदि इसको घर में ले आएं तो भयानक दुर्घटना होगी. इस वृक्ष की लकड़ी से बने पलंग या चारपाई मृत्युकारक मानी गई है. आंधी में गिरे वृक्ष की लकड़ी के प्रयोग से वात रोग होता है. मार्ग के वृक्ष से कुल की हानि होती है तथा कुल के वृक्ष कटवाने से मृत्यु, देवताओं के वृक्षों अर्थात मंदिरो आश्रमों के वृक्ष कटवाने से धन नाश बताया गया है. इसके अलावा जिस वृक्ष पर अधिक कौवे बैठते हों, वह भी धन नाश कराता है. श्मशान के किसी भी वृक्ष की लकड़ी कभी भी प्रयोग में नहीं लानी चाहिए. इसे मृत्यु देने वाला कहा जाता है.
सूर्य का प्रकाश रुकना गलत
यदि आपके आवास में चारों ओर वृक्ष लगे हों तो यह भी ठीक नहीं हैं. वृक्ष यदि दो घंटो से अधिक सूर्य के प्रकाश को रोके तो वह वास्तु नियम के प्रतिकूल प्रभाव दे रहे हैं. वृक्ष काटने से पहले हम प्रकृति से जो छीन रहे है. उसे पूरा कर देना चाहिए. जो लोग अकारण अर्थ लाभ के लिए वृक्ष काटते हैं, उन्हें संतान सुख नहीं मिलता.
आम का पेड़ देता है श्रेष्ठ संतान
पुराण कहते है कि निसंतान व्यक्ति यदि आम के वृक्षों का बाग लगवाए तो उसे श्रेष्ठ संतान मिलती है. जो व्यक्ति मार्ग के दोनों ओर सुंदर छायादार वृक्ष लगवाते हैं, वह स्वर्ग में निवास करते हैं