नवरात्र में कलश स्थापना के लिए मिलेंगे इस बार दो मुहूर्त, जानें कलश स्थापना की विधि और आवश्यक सामग्री

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Shashishekhar Tripathi

शारदीय नवरात्र का प्रारम्भ आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होता है, जो इस बार तीन अक्टूबर दिन गुरुवार को है. नवरात्र में नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना करने के पहले विधि विधान के साथ कलश स्थापना आवश्यक है, कलश स्थापना के साथ ही मां का आह्वान किया जाता है. माँ का आशीर्वाद प्राप्त होने से व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट दूर होकर सुख संपत्ति की प्राप्ति होती है. 

स्थापना के लिए आवश्यक सामग्री

तीन अक्टूबर को प्रातः कलश या घट स्थापना होनी है इसलिए पूजा के लिए आवश्यक सामग्री एक दिन पहले ही एकत्र कर लेना चाहिए ताकि आप शांति और धैर्य से शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित कर सकें. लकड़ी की चौकी, लाल कपड़ा, स्थापना में जौ बोने के लिए मिट्टी का चौड़े मुंह का प्याला, साफ मिट्टी, जौ के दाने, ढक्कन के साथ में मिट्टी या तांबे का कलश, कलावा, नारियल, सुपारी, गंगाजल, हल्दी की गांठ, दूर्वा घास, आम अथवा अशोक के पत्ते, अक्षत, लाल पुष्प, माला, लौंग, इलायची, पान का पत्ता, मिष्ठान्न, इत्र, सिक्का.

स्थापना की विधि

पूजा घर में अथवा जहां भी स्थान हो पहले उसे झाड़ू पोछा लगाकर साफ सुथरा कर लें. ईशान कोण अर्थात उत्तर पूर्व की दिशा का चुनाव कर वहां पर लकड़ी की साफ चौकी रख दें और उसके ऊपर साफ और नया लाल कपड़ा बिछा दें. चौकी पर मां दुर्गा का चित्र या मूर्ति स्थापित करें और उसके सामने की ओर कलश स्थापना का मिट्टी का प्याला रखें. उसमें साफ मिट्टी रखने के बाद जौ के दाने बो दें और हल्का सा जल छिड़क कर उसके ऊपर कलश रखें. कलश में थोड़ा सा गंगाजल मिला कर शुद्ध जल, सिक्का,  रोली, हल्दी की गांठ, दूर्वा और सुपारी डाल कर आम या अशोक के पांच पत्तों को रख कर प्याले से ढक दें. इसके ऊपर नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसमें कलावा बांध दें. अब अलग से एक छोटे से कलश के ऊपर दीपक जलाकर सबसे पहले गणेश जी, फिर मां दुर्गा और नवग्रहों का आह्वान कर पुष्प माला आदि अर्पित कर पूजन पाठ प्रारंभ करें. बहुत से परिवारों में नौ दिनों तक अखंड ज्योति जलाई जाती है और कुछ परिवारों में सुबह-शाम दीप जलाया जाता है. इसलिए अपनी परम्परा के अनुसार दीप जलाकर मां का पूजन और अंत में आरती अवश्य करें.     

कलश स्थापना के मुहूर्त

इस बार कलश स्थापना के दो मुहूर्त हैं. निर्णय सागर पंचांग के अनुसार पहला मुहूर्त तीन अक्टूबर को प्रातः 6:35 बजे से लेकर 8:03 तक शुभ वेला में है. प्रातः काल कलश स्थापना के लिए यह सबसे अच्छा मुहूर्त है जो एक घंटा 28 मिनट का है. किंतु जो लोग किन्हीं कारणों से इस अवधि में कलश की स्थापना न कर पाते हैं, वह दोपहर 12:03 से लेकर 12:50 तक अभिजित वेला में घट स्थापना और पूजन कर सकते हैं. यह मुहूर्त मात्र 47 मिनट का है. कलश स्थापना का कार्य शुभ मुहूर्त में करने से मां का पूरा आशीर्वाद मिलता है.

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