Sun Temple: मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र का गौरवशाली इतिहास रहा है, यहां कई ऐतिहासिक और पुरातात्विक धरोहरें आज भी मौजूद हैं, जो बुंदेलखंड की गौरवशाली गाथा कहती हैं. इसी क्षेत्र के सागर जिले में एक स्थान है रहली, यहां पर 10 वीं शताब्दी का अति प्राचीन चंदेल कालीन सूर्य मंदिर है. सुनार और देहार नदियों के संगम पर स्थित सूर्य मंदिर पूर्वाभिमुख होने के साथ ही देश का एकमात्र ऐसा सूर्य मंदिर है जो कर्क रेखा पर स्थित है जिसके चलते इसका धार्मिक महत्व बहुत ही अधिक बढ़ जाता है. प्रत्येक सप्ताह रविवार के अलावा सूर्य षष्ठी और नागपंचमी पर इस मंदिर का महत्व बढ़ जाता है. भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की मदद से इस प्राचीन मंदिर का सुंदरीकरण भी कराया जा रहा है ताकि मध्य प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा मिल सके.
सूर्यदेव की प्रतिमा आकर्षण का केंद्र
रहली नगर के इस सूर्य मंदिर के बारे में बताया जाता है कि मंदिर का निर्माण नौवीं शताब्दी में चंदेल वंश के राजाओं ने कराया था. यहां की विशेषता है कि एक ही पत्थर पर भगवान सूर्य की विशाल प्रतिमा है जिसमें वे सात घोड़ों के रथ पर सवार हैं. सूर्य नारायण की प्रतिमा में उनकी दोनों पत्नियां भी हैं. पूर्वाभिमुखी होने के कारण सूर्य देव की पहली किरण प्रतिमा पर पड़ती है. इस मंदिर की बाहरी दीवारों और पूरे परिसर में विभिन्न देवी देवताओं की प्रतिमाएं हैं और इन्हें भी 10 वीं शताब्दी का ही माना जाता है. सूर्यदेव के दरबार में एक तरफ कुबेर और दूसरी तरफ भगवान विष्णु की प्रतिमा है. मंदिर में महाश्वेता देवी अभय की मुद्रा में स्थापित हैं और साथ ही ब्रह्मा, विष्णु, महेश की त्रिमूर्ति भी विराजमान है. मंदिर की पिछली दीवार पर जड़ी नागयुग्म प्रतिमा. प्रतिमा आकर्षण और आस्था का केंद्र है नागपंचमी पर इसका विशेष पूजन किया जाता है. नागयुग्म की प्रतिमा में कमर के नीचे का भाग नाग नागिन के आकार का एक दूसरे से गुथा हुआ है जबकि मुख का हिस्सा मानव का. प्रतिमा में नाग नागिन के मस्तिष्क के ऊपर तीन तीन सर्प फन मुकुट या छत्र के रूप में लगे हैं. ये कुंडल आदि भी पहनें हैं.
पांच एकड़ क्षेत्र में बनी विकास की योजना
मंदिर के निकट करीब पांच एकड़ की भूमि में पार्क विकसित किया जा रहा है जिससे मंदिर की भव्यता और खूबसूरती तो बढ़ेगी ही पर्यटकों के लिए आकर्षक होगा. पार्क के विकास में पर्यटकों की सुविधाओं का भी ध्यान रखा जा रहा है. सूर्य मंदिर के पीछे यह स्थान पहले वन विभाग के अधीन था किंतु स्थानीय प्रशासन ने उस स्थान को पार्क विकसित करने के लिए ले लिया है.