Sun Temple Kandaha: इस सूर्य मंदिर में सूर्य नारायण की प्रतिमा के साथ ही मौजूद हैं उनकी दोनों पत्नियां, 12 राशियों की कलाकृति संग सूर्य यंत्र भी 

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SUN TEMPLE, DHARAMSTHAL, VEDEYEWORLD 

Sun Temple Kandaha: बिहार प्रांत के सहरसा में एक गांव है कन्दाहा, इसी गांव में प्रसिद्ध सूर्य मंदिर है,  जिसमें सात घोड़ों के रथ पर सूर्यदेव विराजमान हैं. मंदिर के गर्भ ग्रह में लगे शिलालेख बताते हैं कि यह मंदिर 14 वीं शताब्दी में मिथिला पर शासन करने वाले कर्नाटक राजवंश के राजा नरसिंह देव के कार्यकाल में बना. किसी मुगल सम्राट ने इस मंदिर को नुकसान भी पहुंचाया लेकिन प्रसिद्ध संत कवि लक्ष्मीनाथ गोसाईं ने लोगों के सहयोग से मंदिर का पुनर्निर्माण कराया. 

मंदिर की विशेषता 

इस मंदिर की तीन प्रमुख विशेषताएं हैं, जिनमें पहली है ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी बारह राशियों की कलाकृतियों के साथ सूर्य यंत्र की मौजूदगी और दूसरी सूर्यदेव के मेष राशि में प्रवेश करने पर उनकी पहली किरण यहां पर स्थित सूर्य प्रतिमा और उनके रथ पर पड़ती है. मंदिर का जिक्र सूर्य पुराण में भी लिखा है. तीसरी विशेषता मंदिर परिसर का कुआं है. मान्यता है कि यदि किसी को सफेद दाग हो या चर्म रोग हो तो उस व्यक्ति को कुएं पर स्नान करने और सूर्य भगवान का चरणामृत पीने से उसका रोग ठीक हो जाता है. साथ ही जो व्यक्ति सच्चे मन से सूर्य देवता के पास आता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है.

SUN TEMPLE DHARAMSTHAL VEDEYEWORLD

अन्य मूर्तियों के कारण मंदिर का महत्व

मंदिर में देवताओं में प्रथम पूज्य गणेश जी की अष्टभुजी मूर्ति भी विराजमान है, जिसका अन्यत्र मिलना मुश्किल है. साथ ही गणेश जी के पिता भगवान शंकर की मूर्ति भी है. यहां पर सूर्य नारायण की दोनों पत्नियों संज्ञा और छाया की प्रतिमाएं भी मौजूद हैं. बताते हैं भगवान श्री कृष्ण के पुत्र साम्ब ने नारद जी के श्राप से मुक्ति पाने के लिए इस स्थान पर सूर्यदेव की आराधना की थी इसलिए यहां पर सूर्य प्रतिमा मेष राशि में प्रवेश करने के समय की है. उन्होंने सबसे पहले सूर्य मंदिर की स्थापना की थी. मंदिर को कई बार तोड़ा गया और बनाया भी गया, दस्तावेजी प्रमाण के अनुसार 1334 ईस्वी में इनवार वंश का राजा भवदेव सिंह ने इसका जीर्णोद्धार कराया. 

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