प्राचीन काल से चली आ रही दशहरा में शस्त्र पूजन की परम्परा, प्रभु श्री राम और अर्जुन ने भी युद्ध के पहले की थी पूजा

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Anjani Nigam

विजयादशमी अर्थात दशहरा में शस्त्र पूजन की परम्परा युगों पुरानी है. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार जिसके पास जो भी शस्त्र हैं वह इस दिन विधि विधान से उनका पूजन करता है. पुराने जमाने में जब राजा महाराजा होते थे, वह इस दिन शस्त्र पूजन को उत्सव के रूप में मनाते थे. भारतीय सेना में वह परम्परा आज भी चल रही है. इस बार दशहरा का पर्व 12 अक्टूबर शनिवार को है, उस दिन प्रातः जागने और नित्य कर्म करने के बाद शास्त्रोक्त विधि से घर में रखे शस्त्र भले ही वह छोटी सी लाठी हो, उसका पूजन करना चाहिए. कुछ समाजों में सार्वजनिक समारोह कर शस्त्र पूजन किया जाता है. 

रामायण और महाभारत काल 
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है जो इस बार 12 अक्टूबर को हो रहा है. इस दिन देवी अपराजिता का आह्वान कर शस्त्रों की पूजा कर जीवन में विजय की कामना की जाती है. शस्त्र पूजन की परम्परा रामायण और महाभारत काल की है. प्रभु श्री राम ने रावण का संहार कर लंका पर विजय की कामना के लिए युद्ध के पूर्व देवी की आराधना कर शस्त्रों का पूजन किया था. इसी तरह महाभारत का युद्ध शुरू होने के पहले भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से विजय प्राप्ति के लिए देवी की आराधना कर शस्त्र पूजन कराया था. देवी कात्यायनी ने इसी दिन देवताओं से मिले अस्त्र शस्त्र के प्रहार से महिषासुर का वध किया था, जिसने तीनों लोकों पर कब्जा कर लिया था. 

भारतीय सेना भी करती है शस्त्र पूजा
शारदीय नवरात्र में शक्ति की प्रतीक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की नौ दिनों तक पूजा अर्चना के बाद दशहरा यानी विजया दशमी पर विजय की कामना से शस्त्रों का पूजन किया जाता है. भारतीय सेना प्रतिवर्ष इस परंपरा का निर्वाह करती है जिसमें सामान्य तौर पर रक्षा मंत्री शामिल होते हैं. इस पूजा का उद्देश्य सैनिकों में उत्साह का संचार करने के साथ ही सीमा की सुरक्षा में देवी का आशीर्वाद प्राप्त करना होता है. प्राचीन काल में राजा महाराजा शत्रु देश पर आक्रमण करने के लिए इसी दिन का इंतजार करते थे और विजय दुंदुभी बजा कर शत्रु को ललकारते थे. युद्ध न करने की स्थिति में भी सेना को राष्ट्र की सीमा पार कराने की परंपरा थी.

इस तरह करें पूजन
शस्त्र पूजन के लिए सुबह विजयादशमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद विजय मुहूर्त में शस्त्रों को कपड़ा बिछी हुई लकड़ी की एक साफ चौकी पर गंगाजल से पवित्र कर रखना चाहिए. इसके बाद शस्त्रों पर रोली से तिलक और अक्षत छिड़क कर फूल माला अर्पित करना चाहिए. इस दौरान शक्ति प्राप्त करने के लिए भगवान श्री राम और मां काली का ध्यान करना चाहिए. बाद में परिवार के बड़े बुजुर्गों का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेना न भूलें.    

शस्त्र पूजा के पहले इस बात का रखें ध्यान
शस्त्र पूजन के पहले शस्त्र को साफ जरूर करना चाहिए लेकिन सावधानी के साथ. अक्सर देखा जाता है कि शस्त्रों की सफाई के दौरान जरा सी चूक से दुर्घटनाएं हो जाती हैं. इसलिए शस्त्र का उपयोग करते समय उसे अनलोड कर देना चाहिए. 

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