Prayagraj Kumbh Mela 2025 : जानिए उन पवित्र तिथियों के बारे में जिनमें संगम स्नान से मिलते हैं अनंत पुण्य और मोक्ष के लाभ

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हिन्दू धर्म में दान का विशेष महत्व है। समय-समय पर विभिन्न प्रकार के दान और व्रत की मान्यताएं हैं।

Prayagraj Kumbh Mela 2025: हिन्दू धर्म में दान का विशेष महत्व है। समय-समय पर विभिन्न प्रकार के दान और व्रत की मान्यताएं हैं। महाकुम्भ भी अपने विशेष स्नान और दान के लिए प्रसिद्ध है। वैसे तो प्रयागराज संगम का अपना महत्व है, जहां किसी भी दिन और किसी भी समय किया गया स्नान विशेष फलदायी होता है, किंतु महाकुम्भ के पर्व में किए गए स्नान का महत्व हजारों यज्ञों के बराबर माना जाता है। इस बार के महाकुम्भ के स्नान की कुछ विशेष तिथियां हैं, जो निम्नलिखित हैं:

पौष पूर्णिमा स्नान

महाकुम्भ का प्रथम स्नान दिनांक 13 जनवरी 2025 को होगा। पौष पूर्णिमा दिनांक 13 जनवरी को सुबह 05 बजकर 03 मिनट पर आरंभ होगी और अगले दिन 14 जनवरी को सुबह 03 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसी मान्यता है कि पौष पूर्णिमा के दिन स्नान करने से मनुष्य को जीवन-मरण के अनवरत चक्र से मुक्ति प्राप्त हो जाती है।

मकर संक्रांति स्नान

महाकुम्भ का द्वितीय स्नान दिनांक 14 जनवरी 2025 को है। मकर संक्रांति पर्व का हिन्दू संस्कृति में विशेष महत्व है। इसे संपूर्ण भारतवर्ष एवं नेपाल में विभिन्न प्रकार से मनाया जाता है। इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है लेकिन ज्योतिषी के अनुसार स्नान और दान के लिए शुभ समय सुबह 09 बजकर 03 मिनट से सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक है।

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मौनी अमावस्या स्नान

महाकुम्भ का तृतीय स्नान मौनी अमवस्या के दिन है, जो दिनांक 29 जनवरी 2025 को है। जीवन में मौन रखने का अपना महत्व है। धर्म में भी इसके महत्व को बताया गया है। उत्तर भारत में आम जनमानस प्रत्येक वर्ष इस दिन चुपचाप स्नान करते हैं और ईश्वर का नाम लेकर तथा दान देकर मौनव्रत को पूर्ण करते हैं। कहावत है, “हरि हरि बोल, मौनी खोल।” मान्यता है कि अमावस्या के दिन स्नान से पितर तृप्त होते हैं। इस दिन स्नान के साथ पितरों को जलांजलि (तर्पण) भी देना चाहिए।

बसंत पंचमी स्नान

महाकुम्भ का चतुर्थ स्नान दिनांक 03 फरवरी 2025 को बसंत पंचमी के दिन होगा। बसंत पंचमी को मां सरस्वती का प्रगट्य दिवस भी माना जाता है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन को कामदेव और रति की भी पूजा की जाती है। इस दिन महाकुम्भ में स्नान और दान से आत्मज्ञान की प्राप्ति की जा सकती है।

माघी पूर्णिमा स्नान

माघ माह की पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा भी कहते हैं। महाकुम्भ के इस वर्ष में दिनांक 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा का स्नान है। इस दिन भी मकर संक्रांति की तरह तिल इत्यादि के दान का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन स्नान और दान से गुरु बृहस्पति और मां पार्वती को प्रसन्न किया जा सकता है।

महाशिवरात्रि स्नान

महाकुम्भ का अंतिम विशेष स्नान महा शिवरात्रि के दिन है। इस बार महाशिवरात्रि दिनांक 26 फरवरी को है। इस दिन के स्नान से मोक्ष की आकांक्षा वाले शिवतत्व को प्राप्त करने के प्रयास के रूप में मनाते हैं, तो गृहस्थ इसे शिव पार्वती के विवाह के रूप में मनाते हैं। अनंत फल प्रदान करने वाली महाशिवरात्रि को संगम स्नान विशेष फलदायी है।

महाकुम्भ के दौरान अन्य स्नान

उपरोक्त किसी भी तिथि में स्नान के अतिरिक्त महाकुम्भ के दौरान कभी भी किया गया स्नान मनुष्यों को विशेष फल प्रदान करेगा। यदि आप उपरोक्त तिथियों पर कुम्भ में स्नान नहीं कर सकते तो भी समुद्र या किसी पवित्र नदी में किए गए स्नान का वही महत्व है। बस, आपका सद्चरित्र और सद्ईच्छा होनी चाहिए।

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