धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा कर आरोग्यता मांगने के साथ ही किसी एक व्यसन को छोड़ने का लें संकल्प

0
374

दीपावली का मुख्य पर्व लक्ष्मी पूजन के लिए होता है किंतु पांच दिनों के इस महापर्व का प्रारम्भ धन त्रयोदशी अर्थात धनतेरस से होता है. इसी दिन समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरी का प्रादुर्भाव हुआ था तो अमृत कलश लेकर निकले थे. वास्तव में आरोग्य के देवता अपने कलश में आरोग्य रूपी अमृत लेकर निकले थे जिसके बारे में कहा जाता है कि उसका पान करने के बाद व्यक्ति अमर हो जाता है. शायद उसके इसी गुण के कारण समुद्र मंथन में मिल बाट कर कार्य कर रहे असुरों और देवताओं में कहासुनी होने लगी. अमृत के बंटवारे को लेकर दोनों के बीच हो रहे इस विवाद को सुलझाने के लिए विष्णु जी सुंदर स्त्री के रूप में प्रकट हुए और दोनों के सामने प्रस्ताव रखा कि वह स्वयं ही इसे सबके बीच समान रूप से वितरित करेंगी. इस कथा में यह भी बताया गया है कि एक असुर देवताओं की पंक्ति में बैठ गया और अमृत का पान कर लिया जिसका पता लगते ही विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया. उसके शरीर के दोनों हिस्से  ब्रह्मांड में आज भी राहु और केतु के ग्रहों के रूप में मौजूद हैं और निर्धारित सूर्य और चंद्रमा पर ग्रहण लगाने का कार्य करते हैं.  

 

समझें भगवान धन्वंतरि के पूजन का वास्तविक मर्म 

यह तो पौराणिक कथा है जिसे हम सबने विभिन्न धर्म ग्रंथों में पढ़ रखा है. अब बात करते हैं आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरी और दीपावली के बीच कनेक्शन की. दीपावली वाले दिन अमावस्या की रात में माता लक्ष्मी की पूजा कर उन्हें प्रसन्न तो किया जाता है साथ ही कुबेर की पूजा भी की जाती है ताकि जो धन लक्ष्मी जी की कृपा से प्राप्त हुआ है, वह सुरक्षित भी बना रहे. लेकिन इस पूजन के दो दिन पहले धनतेरस में भगवान धन्वंतरि की पूजा कर उनसे आरोग्य मांगा जाता है. आरोग्य अर्थात ऐसा स्वास्थ्य जिसमें कोई रोग या शारीरिक मानसिक कष्ट न हो. इसे भी अप्रत्यक्ष रूप से धन ही समझना चाहिए. स्वास्थ्य या आरोग्य भी एक प्रकार का धन ही है क्योंकि किसी भी असाध्य रोग होने पर इलाज में लाखों रुपए खर्च हो जाते हैं. भगवान धन्वंतरि अपने पूजन के माध्यम से यह संदेश भी देते हैं कि आरोग्यता के लिए स्वयं भी प्रयास करिए और इसके लिए अपने आहार विहार में परिवर्तन करिए. जो लोग किसी तरह के व्यसन का सेवन करते हैं उन्हें इस दिन भगवान धन्वंतरि का पूजन करने के साथ ही किसी एक व्यसन से दूर रहने का संकल्प लेना चाहिए. तभी भगवान धन्वंतरि की वास्तविक पूजा हो सकेगी.  

+ posts

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here