मां दुर्गा की तीसरा स्वरूप हैं माता चंद्रघंटा, इनके मस्तक पर विराजमान घंटे की गूंज से राक्षस भी होते भयभीत

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ANJANI  NIGAM

नवरात्र का तीसरा दिन माता चंद्रघंटा को समर्पित है. ये मां दुर्गा की तीसरी शक्ति हैं और इनका स्वरूप परम कल्याणकारी और शांतिदायक है. इनकी आराधना से श्रद्धालु को वीरता और निर्भयता के साथ के साथ ही विनम्रता और सौम्यता की प्राप्ति होती है. इनके मस्तक पर आधे चंद्र के आधार का घंटा है जिसके कारण इन्हें मां चंद्रघंटा कहा जाता है. इस घंटे की ध्वनि की गूंज से बड़े बड़े बलशाली राक्षस भी भयभीत होते हैं.  

बड़ी पावन है उनके प्राकट्य की कथा
मां चंद्रघंटा के प्रकट होने की कथा बहुत ही पावन है. एक बार राक्षसों के प्रमुख महिषासुर ने तप कर असीम शक्तियां प्राप्त कर लीं. अब उसने देवताओं पर हमला बोला और उन्हें भी हरा कर स्वर्ग पर अधिकार जमा लिया. भयभीत देवता ब्रह्मा जी को लेकर ऐसे स्थान पर पहुंचे जहां विष्णु जी और शिव जी विराजमान थे. देवताओं ने अपनी आप बीती बताई तो उन्हें बहुत क्रोध आया. त्रिदेवों के क्रोध की असीम शक्ति से ऊर्जा और तेज का एक पुंज निकला जिसने विशाल देवी का स्वरूप ग्रहण किया. त्रिदेवों सहित समस्त देवताओं ने उन्हें प्रणाम कर महिषासुर से उद्धार दिलाने की प्रार्थना की. दस हाथों वाली देवी के हामी भरते ही सभी देवों ने उन्हें शस्त्र भेंट किए जिनमें शिव जी ने त्रिशूल, विष्णु जी ने चक्र, सूर्यदेव ने तेज, तलवार और सिंह तथा देवराज इंद्र ने अपना घंटा भेंट में दिया. घंटा स्वीकार करते ही वह देवी के मस्तक के एक तरफ अर्ध चंद्र के रूप में दिखने लगा. सोने के समान चमकीला रंग होने के साथ ही त्रिदेवों के प्रतीक माता के तीन नेत्र हैं. अन्य हाथों में कमल पुष्प, गदा, धनुष बाण, खड्ग, खप्पर आदि अस्त्र भी हैं. शेर पर सवाल माता युद्ध लड़ने के लिए तैयार हैं. मां चंद्रघंटा ने महिषासुर से युद्ध कर उसका वध कर देवताओं और स्वर्ग की रक्षा की. 

मां के नाम के मर्म को भी समझें
चंद्रमा व्यक्ति की बदलती हुई भावनाओं का प्रतीक होता है. ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा मन का कारक माना जाता है. जिस तरह चंद्रमा आकार घटता और बढ़ता है, ठीक उसी तरह मन के नकरात्मक भाव भी व्यक्ति को निरुत्साहित और अशांत करते हैं. ध्यान आदि कर भले ही कुछ देर के लिए इन विचारों से दूर हो जाएं लेकिन कुछ समय के बाद फिर से वही विचार घेर लेते हैं. घंटे का अर्थ मंदिर के घंटे जैसा ही है. उसे बजाने पर हमेशा एक जैसी गूंज ही निकलती है, उसी तरह नकारात्मक और सकारात्मक विचारों में उलझा मन भी जब ईश्वर के चरणों में लगता है तो दैवीय शक्तियों का उदय होता है जैसे मां चंद्रघंटा प्रकट हुईं. मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की विश्वास और श्रद्धा के साथ पूजा करने पर हर तरह के रोग दोष दूर होते हैं.

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