
Manas Manthan : पवनपुत्र हनुमान माता सीता की खोज में लंका पहुंचने के लिए समुद्र के ऊपर उड़े तो देवताओं ने उनके बल और बुद्धि की परीक्षा लेने का विचार किया. इसी विचार के फल स्वरूप सर्पों की माता सुरसा को समुद्र में भेजा. सुरसा ने समुद्र के ऊपर उड़ रहे हनुमान जी को देखकर परीक्षा लेने के उद्देश्य से उनसे कहा, आज का दिन बहुत ही अच्छा है क्योंकि देवताओं ने मेरे भोजन का प्रबंध कर दिया और इसलिए तुम्हें भेजा है अब मैं तुम्हे भोजन के रूप में ग्रहण करुंगी. इतना सुनने पर हनुमान जी ने कहा कि मैं अपने प्रभु श्री राम का कार्य पूरा करने के लिए निकला हूं इसलिए आप मुझे क्षमा करें, पहले मैं माता सीता का पता लगाऊंगा और फिर सारा समाचार श्री राम को बताने के बाद आपके मुख में स्वयं ही प्रवेश कर जाऊंगा ताकि आप मुझे भोजन के रूप में ग्रहण कर सकें.
