maintain worship place: कैसे संवारें पूजा घर : वास्तु के महत्वपूर्ण नियम और सावधानियां, जिनसे बढ़ेगी घर में शांति और समृद्धि

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Maintain worship place: पूजा घर न केवल एक स्थान होता है, जहां हम अपने आराध्य देवताओं का स्मरण करते हैं, बल्कि यह स्थान हमारे घर की ऊर्जा और शांति का भी केंद्र होता है. इसलिए, पूजा घर की स्थापना और उसमें रखी जाने वाली मूर्तियों, चित्रों और अन्य वस्त्रों का स्थान बहुत महत्वपूर्ण होता है. आइए जानते हैं कुछ प्रमुख वास्तु नियम और सावधानियों के बारे में जो आपके पूजा घर को और अधिक पवित्र और प्रभावी बना सकते हैं.

मूर्तियों का सही स्थान और दिशा

पूजा गृह में भगवान गणेश और दुर्गा की प्रतिमाओं या चित्रों को उत्तर की दीवार पर रखना चाहिए, जिसमें उनका मुख दक्षिण की ओर हो. वहीं, ब्रह्मा, विष्णु और कार्तिकेय के चित्रों या मूर्तियों को पूर्व या पश्चिम की ओर रखना शुभ माना जाता है. यदि आपके पास सूर्य भगवान की मूर्ति या फोटो हो, तो उसे पूर्व दिशा में ही रखें, क्योंकि यह दिशा भगवान सूर्य के लिए विशेष रूप से शुभ मानी जाती है.

मूर्तियों की ऊँचाई और आकार 

शास्त्रों के अनुसार, पूजा गृह में एक बालिश्त से कम ऊंचाई की ठोस पाषाण मूर्तियां ही रखना उचित होता है. इससे बड़ी मूर्तियों को घर में रखने की अनुमति नहीं दी गई है. कुछ ग्रंथों में आठ अंगुल से बड़ी मूर्तियों को घर में रखने से मना किया गया है. यदि मूर्तियां मिट्टी की हैं या खोखली हैं, तो उनमें दोष नहीं होता. इसलिए, मूर्तियों का आकार और सामग्री का ध्यान रखना अनिवार्य है.

प्राचीन मंदिर की मूर्तियां

किसी भी प्राचीन मंदिर से लाई गई मूर्तियों को अपने पूजा घर में नहीं रखना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार, ऐसा करना अशुभ माना जाता है और यह आपके घर में नकारात्मक ऊर्जा ला सकता है.

एक से अधिक प्रतिमाओं की संख्या

वास्तु के अनुसार, एक ही पूजा गृह में दो शिवलिंग, दो शंख, दो सूर्य प्रतिमाएं, दो शालिग्राम, या तीन दुर्गा प्रतिमाएं नहीं रखनी चाहिए. इससे घर में असंतुलन उत्पन्न हो सकता है और शांति भंग हो सकती है.

हवन और अखंड दीप 

यदि आप नियमित हवन करते हैं, तो हवन कुंड को पूजा घर के आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण दिशा) में बनवाना शुभ माना जाता है. वहीं, अखंड दीप जलाने के लिए भी यही दिशा उपयुक्त होती है. इस स्थान पर प्रकाश का होना भी अनिवार्य है, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

पूजा घर में सोने से बचें

पूजा घर का स्थान अत्यंत पवित्र होता है, इसलिए भूलकर भी वहां शयन न करें और न ही किसी को वहां सोने की अनुमति दें. यह स्थान केवल पूजा और ध्यान के लिए सुरक्षित रहना चाहिए.

शुद्धता और सफाई का महत्व

पूजा कक्ष को सदैव स्वच्छ और पवित्र रखना चाहिए. पूजा घर में झाड़ू और कूड़ा-कचरा रखने से बचें. यहां किसी भी प्रकार की अपवित्र वस्तु नहीं होनी चाहिए. साथ ही, पूजा घर को साफ करने के लिए झाड़ू-पोछा भी अलग होना चाहिए.

कीमती सामान न रखें

कई घरों में लोग पूजा घर में ही अपने कीमती सामान, जैसे जेवर आदि रख देते हैं. यह गलत है. यदि पूजा के स्थान पर धन रखने लगेंगे, तो घर के मुखिया का मन सदैव धन में ही उलझा रहेगा, जिससे अशांति का माहौल बनेगा.

प्रवेश द्वार पर मूर्तियों का उपयोग

बहुत से लोग अपने घर के प्रवेश द्वार पर लक्ष्मी, गणेश, कुबेर जैसे देवताओं की मूर्तियां लगाते हैं, यह मानते हुए कि इससे शुभता आएगी. हालांकि, देवता पूजनीय होते हैं, वे पहरेदार नहीं. अगर आपने द्वार पर मूर्तियां लगा रखी हैं और उन्हें हटाना संभव नहीं है, तो प्रतिदिन उन देवताओं की भी पूजा करें और नियमित रूप से भोग अर्पित करें, जैसे पूजा घर के देवताओं को करते हैं.

इन सरल, लेकिन महत्वपूर्ण वास्तु नियमों का पालन करके आप अपने पूजा घर को और अधिक पवित्र, सकारात्मक और शांतिपूर्ण बना सकते हैं. ध्यान रखें, सही दिशा, उचित मूर्तियों का चयन और पवित्रता से आपका पूजा गृह आपके जीवन में समृद्धि और शांति का संचार करेगा.

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