MAHAKUMBH 2025: तीर्थों में तीर्थराज है प्रयागराज, नाम स्मरण करने मात्र से दूर हो जाते है पाप

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प्रयागराज को तीर्थराज कहा जाता है जहां स्वयं देवता वास करते हैं.

MAHAKUMBH 2025 : विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला महाकुम्भ प्रयागराज में शुरु हो चुका है. इस मेले में संत महात्माओं, देश विदेश के तीर्थ यात्रियों के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं. अब तक तीन करोड़ से भी अधिक लोगों के स्नान करने से लगता है कि सरकार का 45 करोड़ लोगों के संगम में डुबकी लगाने का आंकलन इससे कहीं आगे जाएगा. मुख्य़मंत्री योगी आदित्यनाथ जो स्वयं नाथ सम्प्रदाय की गोरक्ष पीठ के पीठाधीश्वर भी हैं, स्वयं ही रोज व्यवस्थाओं की समीक्षा कर रहे हैं. भारत में उपस्थित सभी तीर्थों में प्रयागराज का स्थान सबसे ऊपर है, जहां पर महाकुम्भ का आयोजन हो रहा है इसीलिए प्रयागराज को तीर्थराज कहा जाता है जहां स्वयं देवता वास करते हैं. भारत में पंच प्रयाग, देव प्रयाग, रुद्र प्रयाग, कर्ण प्रयाग और नन्द प्रयाग आदि प्रसिद्ध हैं. इनकी महिमा प्रयाग शताध्यायी में तो है ही, महाभारत के वन पर्व के साथ ही अग्नि, नारद, कूर्म, पद्म और स्कन्द पुराण के अनेकों अध्याय में प्रयागराज की महिमा बतायी गयी है.

तीर्थराज प्रयागराज में स्नान करने वाले को मृत्यु के बाद स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है

मत्स्य पुराण में  कहा गया है कि-

योजनानां सहस्त्रेषु गंगायाः स्रमरणान्नरः ।

अपि दुष्कृतकर्मा तु लभते परमां गतिम् ।।

कीर्तानान्मुच्यतते पापद् दृष्टवा भद्राणि पश्यति ।

अवगाह्य च पीत्वा तु पुनात्यायसप्तम कुलम् ।।

यानी कि तीर्थराज प्रयागराज में स्नान करने वाले को मृत्यु के बाद स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है. इतना ही नहीं जो लोग तीर्थराज में प्राणों का त्याग करते हैं, उन्हें जन्म मरण से छुटकारा मिल जाता है. यहां तक कहा गया है कि किसी व्यक्ति ने थोड़ा सा भी पाप किया हो तो वह प्रयागराज का नाम लेने मात्र से ही मिट जाता है. ऐसे में यदि उसी प्रयागराज में इतना विशाल आयोजन हो रहा है तो कोई इस धर्म नगरी में क्यों नहीं जाना चाहेगा जहां के संगम में रोज एक करोड़ से अधिक लोग स्नान कर पुण्य प्राप्त कर रहे हैं. 

प्रयाग क्षेत्र में पांच कुंड हैं, उन्हीं के मध्य में गंगा बहती हैं, इसलिए प्रयाग भूमि क्षेत्र में प्रवेश करते ही पाप नष्ट हो जाते हैं. कहते हैं मनुष्य कितना भी बड़ा पापी क्यों न हो, यदि वह हजारों किलोमीटर दूर से भी पवित्र गंगा का स्मरण करता है तो उसे परमगति प्राप्त होती है. दर्शन करने से उस व्यक्ति को जीवन में मांगलिक अवसर देखने को मिलते हैं. स्नान और जल का पान करने से तो वह अपनी सात पीढ़ियों को पावन बना देता है. 

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