पं. राजेंद्र प्रसाद त्रिपाठी
मां महाकाली की महिमा अपार है, जिनका प्राकट्य असुरों के संहार और संसार की रक्षा के लिए हुआ. उनका भव्य स्वरूप दस हाथ, दस पैर और दस सिर वाला है, जो असीम शक्ति का प्रतीक है. मां महाकाली न केवल संहारक हैं, बल्कि वह शक्ति और सौंदर्य का अद्वितीय संगम भी हैं.
मां महाकाली की उत्पत्ति: ब्रह्मा जी की पुकार पर प्रकट हुईं देवी
जब असुरों का अत्याचार बढ़ने लगा, तो भगवान विष्णु ने अक्सर उन्हें समाप्त करने के लिए शस्त्र उठाए. लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब भगवान विष्णु विश्राम की अवस्था में थे. तभी मधु और कैटभ नामक दो असुरों ने ब्रह्मा जी पर आक्रमण करने की योजना बनाई. असुरों के आतंक से भयभीत होकर, ब्रह्मा जी ने मां महाकाली का स्मरण किया. ब्रह्मा जी की पुकार सुनते ही, मां महाकाली तुरंत प्रकट हुईं और उन असुरों का विनाश कर दिया, जिससे ब्रह्मा जी की रक्षा हो सकी. यह घटना मां महाकाली की असीम शक्ति और उनके त्वरित आह्वान के महत्व को दर्शाती है. मां महाकाली को शाक्त परंपरा की दस महाविद्याओं में से एक माना जाता है, जो उन्हें विशेष शक्ति प्रदान करती है.
महाकाली का स्वरूप: शक्ति और प्रकाश का प्रतीक
मां महाकाली का स्वरूप दिव्यता और शक्ति का प्रतीक है. उनके दस हाथों में खड्ग, चक्र, गदा, धनुष, परिघ जैसे शक्तिशाली शस्त्र हैं. परिघ एक लोहे की भारी रॉड होती है, जिसका मूठ बहुत भारी होता है. इनके अतिरिक्त उनके अन्य हाथों में शूल, भुशुण्डि और शंख भी होते हैं.
मां के तीन नेत्र अग्नि, सूर्य और चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करते हैं, और उनका शरीर नीले मणि की भांति चारों ओर प्रकाश फैलाता है. उनके दस पैर और दस मुख उनके दिव्य स्वरूप को और भी भव्य बनाते हैं. मां महाकाली के शरीर का हर अंग विशेष आभूषणों से विभूषित है, जो भक्तों को साधना और ध्यान में प्रेरित करता है.
महाकाली की उपासना: शत्रु भय और बाधाओं से मुक्ति
दीपावली की रात का महानिशीथ काल मां महाकाली की उपासना के लिए सबसे उत्तम माना जाता है. इस काल में मां की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि, शांति और शत्रुओं से मुक्ति प्राप्त होती है.
दस महाविद्याओं में से एक होने के कारण, मां महाकाली को सबसे शक्तिशाली देवी माना जाता है. वे शीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्तों को फल प्रदान करती हैं.
दुर्गा सप्तशती में महाकाली की महिमा
दुर्गा सप्तशती के पहले अध्याय में मेधा मुनि ने मार्कण्डेय ऋषि द्वारा रचित मार्कण्डेय पुराण के देवीमहात्म्य में मां महाकाली के अद्वितीय गुणों और शक्तियों का विस्तार से वर्णन किया है. इसमें मां की संहारक शक्ति और उनकी कृपा का वर्णन है, जो भक्तों को अभय और शक्ति प्रदान करती है.
महाकाली की उपासना का महत्व
मां महाकाली की साधना उनके भक्तों के जीवन से सभी प्रकार की बाधाओं और शत्रुओं का भय समाप्त करती है. उनकी उपासना से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है. मां महाकाली का आशीर्वाद पाने वाले भक्त हर चुनौती को पार कर सफलता की ओर बढ़ते हैं. उनकी महिमा का वर्णन अनंत है, और उनकी पूजा से भक्तों को दिव्य शक्ति का अनुभव होता है.
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