Lunar Eclipse on holi 2025 : होली पर ग्रहण का साया, क्या होगा त्योहार का रंग फीका? जाने क्या करना है और क्या नहीं

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वसन्तोत्सव और ग्रहण एक ही दिन होने के कारण इस बार का चंद्र ग्रहण लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है।

Lunar Eclipse on holi 2025 : ग्रेगोरियन कैलेंडर के आधार पर वर्ष 2025 का पहला ग्रहण एक चंद्र ग्रहण होगा जो कि 14 मार्च शुक्रवार के दिन होगा। वसन्तोत्सव और ग्रहण एक ही दिन होने के कारण इस बार का चंद्र ग्रहण लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। दरअसल ग्रहण के दिन मनोरंजन, पूजा पाठ या उत्सव नहीं मनाया जाता है तथा मंदिरों के पट भी बंद  कर दिए जाते हैं। ग्रहण काल में केवल भजन कीर्तन जैसे कार्य ही किए जाने का विधान है। ऐसे में लोगों के बीच होली का त्यौहार मनाने को लेकर कुछ प्रश्न उठ रहे हैं कि ग्रहण से संबंधित यम सूतक के नियम माने जाएं या फिर होली का त्यौहार मनाया जाए। आइए ग्रहण के विषय में जानते हैं विस्तार से-

एक दिन दो तिथियों का संयोग

निर्णयसागर पंचांग के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा 14 मार्च के दिन दोपहर 12:36 तक रहेगी उपरांत प्रतिपदा तिथि लग जाएगी। 13 मार्च को होलिका दहन और 14 मार्च को ग्रहण लगने के कारण लोगों में भ्रम है कि होली में रंग खेला जाएगा या नहीं क्योंकि होली पर बड़े लोग भले ही रंग न खेलने कि बात मान जाएं किंतु बच्चों को रंग खेलने से मना नहीं किया जा सकता है क्योंकि वर्ष में एक बार पड़ने वाले इस पर्व को लेकर बच्चों में खास उत्साह होता है।

14 मार्च को ग्रहण लगने के कारण लोगों में भ्रम है कि होली में रंग खेला जाएगा या नहीं

चंद्रग्रहण के स्पर्श और मोक्ष का समय

यह ग्रहण एक खग्रास चंद्रग्रहण होगा। जो मध्य एशिया के अधिकांश भाग यूरोप, पश्चिम, अफ्रीका प्रशांत, महासागर, उत्तरी अमेरिका अटलांटिक महासागर, दक्षिणी अमेरिका जैसे क्षेत्रों में दिखेगा। भारतीय समयानुसार ग्रहण स्पर्श समय सुबह 10:40 जबकि मोक्ष दोपहर 2:00 बजे 18 मिनट पर होगा। ग्रहण का प्रभाव कन्या राशि के लोगों पर अधिक होगा, इसलिए ग्रहण प्रभावित क्षेत्र में इस राशि के लोग अधिक सतर्क रहें और ईश्वर का ध्यान करें। चंद्रग्रहण की स्थिति में सूतक ग्रहण स्पर्श से ठीक आठ घंटे पहले लग जाता है। सूतक लगने के साथ ही भोजन व अन्य कार्य त्याग दिए जाते हैं, इस अवधि में सोना भी वर्जित होता है।

नहीं पड़ेगा रंग में भंग, त्योहार का लें आनंद

भारत में न दिखने के कारण ग्रहण से संबंधित कोई भी नियम नहीं माना जाएगा। 13 मार्च की रात को होलिका दहन करें और अगले दिन यानी 14 मार्च को जमकर त्योहार का आनंद लें, रंग खेले, गले मिले और गिले शिकवे भूलकर होली का त्योहार एक दूसरे को कुछ मीठा खिलाकर मनाए.

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