Katarmal Sun Temple : उत्तराखंड के इस सूर्य मंदिर में हर साल पहुंचते है, लाखों श्रद्धालु जहां पत्थर या धातु की प्रतिमा नहीं, जानिए इसे क्यों कहा जाता है कटारमल सूर्य मंदिर
Katarmal Sun Temple: कटारमल सूर्य मंदिर उत्तराखंड में अल्मोड़ा के अधेली सुनार नामक गांव स्थित है, जिसे उड़ीसा के कोणार्क सूर्य मंदिर के बाद का स्थान प्राप्त है. कत्यूरी राजा कटारमल द्वारा इसका निर्माण करने के कारण ही मंदिर को कटारमल सूर्य मंदिर कहा जाने लगा है. इसे बड़ादित्य मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. बड़ का अर्थ है बरगद का पेड़ जिसमें संतों और मुनियों की आराधना से सूर्यदेव अर्थात आदित्य प्रकट हुए थे.
सूर्य की किरणें, पड़ती है प्रतिमा पर
कटारमल सूर्य मंदिर में स्थापित भगवान बड़ आदित्य की मूर्ति पत्थर या किसी धातु की न होकर बड़ के पेड़ की लकड़ी से बनी है, जो गर्भगृह में ढक कर रखी जाती है. परिसर में छोटे-बड़े मिलाकर 45 मंदिर हैं. पहले इन मंदिरों में मूर्तियां रखी हुई थीं किंतु एक बार चोरी हो जाने के बाद सभी मूर्तियों को गर्भगृह में रखा गया है. मंदिर के गर्भगृह का प्रवेश द्वार चंदन की लकड़ी का था, जिसमें काष्ठ कला का अनुपम शिल्प बना था किंतु बाद में उसे दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय में रख दिया गया. इस मंदिर में साल में दो बार सूर्य की किरणें भगवान की मूर्ति पर सीधी पड़ती हैं जब सूर्यदेव उत्तरायण से दक्षिणायन और दक्षिणायन से उत्तरायण जाते हैं. यह कुमाऊं मंडल का यह विशालतम ऊंचे मंदिरों में से एक है जिसका विलक्षण स्थापत्य और शिल्प बेजोड़ है. ऊंचे चबूतरे पर बने मंदिर के खंडित शिखर आज भी इसकी विशालता और वैभवता का एहसास कराते हैं
मंदिर का पौराणिक महत्व
पौराणिक उल्लेखों के अनुसार सतयुग में उत्तराखण्ड की कंदराओं में जहां तपस्वी ऋषि मुनि धर्म कार्यों में संलग्न थे तभी धर्म विरोधी असुर कालनेमि ने अत्याचार किए जो बहुत ही अधिक बढ़ गए. ऐसे समय में द्रोणागिरी, कषाय और कंजार पर्वत के तपस्वियों ने कौशिकी नदी जिसे कोसी भी कहा जाता है, के तट पर एकत्र होकर सूर्य नारायण की आराधना की. सूर्यदेव ने अपने दिव्य तेज को एक वटशिला पर स्थापित कर दिया. इसी वटशिला पर कत्यूरी राजवंश के शासक कटारमल ने बड़ादित्य नामक तीर्थ स्थान के रूप में प्रस्तुत सूर्य-मन्दिर का निर्माण करवाया, जो वर्तमान में कटारमल सूर्य मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. यहां पर हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं.