कार्तिक मास और तुलसी पूजा का क्या है कनेक्शन, श्री हरि को प्रसन्न करने के लिए करना होगा विष्णुप्रिया को प्रसन्न..

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Nidhi Jaiswal

कार्तिक मास, जिसे दामोदर मास भी कहा जाता है, सभी मासों में सबसे अधिक खास माना जाता है, जिसके पीछे एक नहीं बल्कि कई मान्यताएँ हैं. इस पवित्र महीने में नदी में स्नान, भजन-कीर्तन, दीपदान करने के साथ तुलसी पूजन का भी विधान है. कार्तिक महीने में तुलसी पौधे की सेवा और पूजा करने वाले लोगों के घर में सुख-शांति बनी रहती है. जो व्यक्ति पूरे माह सच्चे मन से तुलसी और श्री हरि की सेवा और पूजा करता है, उसकी सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं. इस बार कार्तिक मास की शुरुआत 18 अक्टूबर शुक्रवार से हो रही है. आइए, कार्तिक मास से जुड़ी कुछ जरूरी बातों और विशेषताओं को जानते हैं.

योगनिद्रा से जागे भगवान विष्णु:

देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु सृष्टि का संचालन महादेव को सौंपकर योगनिद्रा में चले जाते हैं और चार महीनों तक शयन करते हैं. चार माह की योगनिद्रा के बाद वे कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन जागते हैं, इसलिए धार्मिक दृष्टि से यह मास भी खास महत्व रखता है.

महाभारत में श्रीकृष्ण ने की व्याख्या:

महाभारत में श्रीकृष्ण ने कहा था कि पौधों में मुझे तुलसी, मासों में कार्तिक मास, दिन में एकादशी और तीर्थ में मुझे द्वारिका प्रिय है. इसलिए जो व्यक्ति इस महीने नियमित रूप से तुलसी के पौधे की सेवा करता है, दीपदान करता है, जाप करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं.

तुलसी और शालिग्राम विवाह:

देवउठनी एकादशी के अगले दिन तुलसी माता और विष्णुरूप शालिग्राम का विवाह संपन्न हुआ था. जिन माता-पिता की कन्या नहीं है, वे तुलसी और शालिग्राम का विवाह करा कर कन्यादान सुख को प्राप्त करते हैं.

क्यों है तुलसी पूजन जरूरी:

विष्णु को प्रिय होने के कारण तुलसी जी को विष्णुप्रिया कहा जाता है. कार्तिक मास क्योंकि श्रीकृष्ण का प्रिय मास है, इसलिए इस मास में विष्णु प्रिय तुलसी की पूजा और दीपदान जैसे आवश्यक कर्म बताए गए हैं. एक पौधे के रूप में तुलसी औषधीय गुणों की खान होने के साथ धार्मिक दृष्टि से भी अधिक महत्व रखती है. तुलसी की जड़ में सभी देवी-देवताओं का वास माना गया है. इस महीने सभी देवी-देवता तुलसी की जड़ों में विराजमान हो जाते हैं.

इस तरह करें तुलसी पूजन:

तुलसी पूजन करने के लिए सही तरीका भी जानना जरूरी है, ताकि हम जो भी पूजा करें उसका पूर्ण फल प्राप्त हो सके. कार्तिक मास में तुलसी पूजन करने वाले लोगों को अक्षय पुण्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस पूरे मास सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर तुलसी जी को जल चढ़ाएँ. जल चढ़ाते वक्त “महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी. आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते..” मंत्र का जप करें. इसके बाद सिंदूर, फूल, अक्षत और भोग लगाने के बाद घी का दीपक जलाएँ और आरती करें.

मनोवांछित जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए

जिन कन्याओं के विवाह में देरी हो रही है या मनोवांछित वर नहीं मिल रहा है, उन्हें निस्वार्थ भाव से तुलसी पूजन और तुलसी की सेवा करनी चाहिए. ध्यान रखें कि रविवार के दिन तुलसी बिलकुल भी न तोड़ें. तुलसी विवाह के दिन माता को लाल चुनरी और शालिग्राम को पीले वस्त्र अर्पित करें, साथ ही नैवेद्य चढ़ाएँ और दीपदान भी अवश्य करें.

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