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पूजा स्थल में देवी देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित करना एक महत्वपूर्ण विषय है और इस पर कई सवाल होते हैं. भागवत पुराण में भगवान की आठ प्रकार की प्रतिमाओं का उल्लेख किया गया है, जैसे कि पत्थर, लकड़ी, धातु, चंदन आदि लेप, चित्रमयी, मिट्टी, मनोमयी और मणिमयी. आइए, हम इस लेख में जानेंगे कि पूजा स्थल में प्रतिमाओं का चयन और स्थापना किस प्रकार से किया जाना चाहिए. प्राणप्रतिष्ठा का कार्य घर में न करना उचित है.
भगवान की प्रतिमाएं विभिन्न सामग्रियों से बनती हैं और हर सामग्री का एक विशेष फल होता है:
- पत्थर की प्रतिमा: यह स्थिरता और दीर्घकालिकता का प्रतीक है.
- लकड़ी की प्रतिमा: इसे काम प्रदायिनी माना जाता है.
- धातु की प्रतिमा:
– सोने की प्रतिमा: भक्ति और मुक्ति देने वाली.
– चांदी की प्रतिमा: स्वर्ग प्रदान करती है.
– तांबे की प्रतिमा: आयुवर्धक होती है.
– कांसे की प्रतिमा: अनेक प्रकार की आपत्तियों को नष्ट करती है.
- मिट्टी की प्रतिमा: सुख-संपत्ति और कल्याणकारी होती है.
- चंदन आदि लेप की प्रतिमा: इसे स्नान कराने की आवश्यकता नहीं होती.
पूजा विधि और ध्यान देने योग्य बातें
धर्म ग्रंथों के अनुसार, यदि आपके पूजा घर में धातु की मूर्ति हो और वह छह अंगुल से बड़ी हो, तो प्रतिदिन स्नान कराना आवश्यक है. इसके अलावा, चित्र का भी आवाहन किया जा सकता है.
यदि आप मंदिर का निर्माण करवा रहे हैं, तो सागौन, अर्जुन, देवदार, अशोक, महुआ और आम की लकड़ी से बना मंदिर लाभकारी होता है. वहीं, बरगद, गूलर, नीम, कैथा और चंपक, जैसी लकड़ी का प्रयोग घर के अंदर सर्वथा वर्जित है.
फर्नीचर में उपयोग की जाने वाली लकड़ियों का ध्यान
आजकल बबूल की लकड़ी का उपयोग फर्नीचर में अधिक हो रहा है क्योंकि अन्य लकड़ियां महंगी हो रही हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि बबूल और इमली की लकड़ी में नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है, इसलिए इनसे बचना चाहिए.
मंदिर की सजावट
मंदिर को ओवरक्राउडेड नहीं होना चाहिए; बहुत सी मूर्तियों को रखना उचित नहीं है. इसके अलावा, कैलेंडर नहीं लटकाने चाहिए, क्योंकि यह पूजा स्थल की शुद्धता को प्रभावित कर सकता है.
पूजा स्थल में देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का सही चयन और स्थापना महत्वपूर्ण स्थान रखता है. विभिन्न धातुओं और सामग्रियों से बनी प्रतिमाओं के विशेष फल और उपयोग विधियों को समझकर हम अपनी पूजा को और अधिक प्रभावशाली बना सकते हैं. उचित ध्यान और श्रद्धा के साथ स्थापित की गई प्रतिमाएं हमारे जीवन में सकारात्मकता और सुख-समृद्धि लाने में सहायक होती हैं.



