यहां पर बेटी के रूप में होती है मां लक्ष्मी की आराधना, भगवान वेंकटेश से पाना है आशीर्वाद तो पहले करनी होगी उनकी पूजा

0
473

मां लक्ष्मी देश के विभिन्न अंचलों में अलग-अलग रूपों में विराजमान हैं. आंध्र प्रदेश के इस स्थान पर मां लक्ष्मी की पूजा बेटी के रूप में की जाती है. भगवान वेंकटेश के दर्शन की पूर्ति तभी मानी जाती है जब पहले उनके दर्शन किए जाएं. मान्यता है कि मां अपने भक्तों की गलतियों को आसानी से माफ कर देती हैं और उनकी हर मांग भी पूरी करती हैं. मां के दर्शन करने वालों को कभी भी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है.

अत्यधिक प्राचीन है मंदिर

आंध्र प्रदेश के तिरुपति में तिरुमला देवस्थान की तलहटी में स्थित मां पद्मावती के इस मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है. कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में पल्लव साम्राज्य के शासकों ने करवाया था. तिरुमला की शेषचलम पहाड़ियों के शीर्ष पर भगवान वेंकटेश्वर का निवास स्थान है, जिसे सात पहाड़ियां भी कहा जाता है. भगवान वेंकटेश्वर का मंदिर थोंडमन राजा द्वारा बनाया गया था, और बाद में चोल, पांड्य तथा विजयनगर के राजाओं ने इसका जीर्णोद्धार करवाया. मंदिर के अनुष्ठानों को 11वीं सदी में स्वामी रामानुजाचार्य ने औपचारिक रूप प्रदान किया.

क्या कहती हैं पौराणिक कथाएं

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पद्मावती का जन्म सात पहाड़ियों के राजा आकाश राजा की बेटी अलामेलु के रूप में हुआ था. कहा जाता है कि देवी पास के एक तालाब में कमल के फूल से प्रकट हुई थीं. वेंकटचल महात्म्य के अनुसार, सूर्यदेव ने तालाब में कमल के फूल को पूरी भव्यता के साथ खिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को उनके प्रकट होने का उत्सव हर साल मनाया जाता है. पद्मावती को अलमेलुमंगा भी कहा जाता है, जो मां लक्ष्मी का अवतार और भगवान वेंकटेश्वर की पत्नी हैं.

द्वापर युग से जुड़ी है देवी के विवाह की कहानी

कहते हैं कि द्वापर युग में भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण की पालक मां यशोदा ने एक बार उनसे कहा कि उन्होंने बहुत से विवाह किए हैं, किंतु कोई भी विवाह मैं नहीं देख सकी. इस पर उन्होंने मां से कहा कि अब आप धैर्य रखें और कलियुग में मैं आपके सामने ही विवाह करूंगा. कहा जाता है कि यहां के पेरुरु गांव में वकुला देवी का मंदिर है, जो भगवान वेंकटेश्वर की पालक मां हैं. यशोदा जी का पुनर्जन्म वकुला देवी के रूप में होता है, ताकि भगवान वेंकटेश्वर का विवाह देखने की उनकी इच्छा पूरी हो सके. कहा जाता है कि भगवान वेंकटेश्वर शिकार पर गए तो राजा आकाश राजा की बेटी पद्मावती को देख मोहित हो गए और उनके साथ विवाह किया. इसीलिए मंदिर में हर वर्ष नवरात्रि में विवाह का उत्सव मनाया जाता है. पद्म पुराण में देवी के प्राकट्य और भगवान वेंकटेश्वर के साथ उनके विवाह का विस्तृत वर्णन मिलता है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here