Dharm : दो बहनों में ये कैसी रोचक शर्त लगी जिसके फल स्वरूप एक बहन को दूसरी का बनना पड़ा दासी, अमृत मंथन के रत्न से जुड़ी कहानी

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कश्यप ऋषि की दोनों पत्नियों कद्रू और विनता के बीच उसकी पूंछ के रंग को लेकर बहस छिड़ गयी।

Dharm : समुद्र मंथन में अमृत सहित बहुत से रत्न निकले जिनमें सफेद रंग के उच्चैश्रवा घोड़ा भी था। कश्यप ऋषि की दोनों पत्नियों कद्रू और विनता के बीच उसकी पूंछ के रंग को लेकर बहस छिड़ गयी। विनता के पूछने पर कद्रु ने कहा, यह सही है कि यह घोड़ा सफेद रंग का है लेकिन इसकी पूछ काले रंग की है। बस इसी बहस के बीच दोनों में शर्त लगने लगी कि जिसकी बात गलत निकलेगी वह दूसरी बहन की दासी बन कर रहेगी। 

समुद्र मंथन में अमृत सहित बहुत से रत्न निकले जिनमें सफेद रंग के उच्चैश्रवा घोड़ा भी था

एक बहन ने अपने सर्प पुत्रों को दिया आदेश 

वास्तव में दोनों बहनों में बहुत ईर्ष्या भाव था तभी तो दासी बनने जैसी शर्त लग गयी। खैर शर्त की वास्तविकता के लिए दोनों घर पहुंची। इसी बीच कद्रु ने विनता को धोखा देने के विचार से अपने हजार पुत्रों को आज्ञा दी, मेरे प्रिय पुत्रों तुम लोग काले बाल बन कर उच्चैश्रवा घोड़े की पूछ को ढक लो ताकि सफेद होने के बाद भी वह काली ही दिखाई पड़े ताकि मुझे बहन विनता की दासी न बनना पड़े। सत्य जानने के कारण कुछ पुत्रों ने मां की बात का विरोध करते हुए कहा कि माता जी ऐसा करना ठीक नहीं होगा। इस पर उसने क्रोध में अपने पुत्रों से कहा, जो भी मेरी आज्ञा को नहीं मानना चाहता है, वह राजा जनमेजय द्वारा किए जा रहे यज्ञ की अग्नि में जल कर भस्म हो जाए। कद्रु के इस निर्णय पर सर्वाधिक प्रसन्नता ब्रह्मा जी को हुई, उन्होंने कहा कि जो लोग दूसरों का अहित करते हैं उन्हें विधाता के यहां से ही दंड मिलता है, इन दिनों वैसे भी काले सर्पों के कारण लोगों का जीना मुश्किल हो रहा है। 

बच्चों ने मां की आज्ञा का किया पालन

वह रात तो दोनों ने किसी तरह काटी और सुबह होते ही उच्चैश्रवा घोड़े को निकट से देखने के लिए घर से चल पड़ीं। इधर कद्रु  के सर्प पुत्रों ने विचार किया कि यदि मां की आज्ञा का पालन नहीं किया तो हम लोगों को आग में जल कर भस्म होना होगा। ऐसा होने पर वे हम लोगों को शाप से मुक्त कर देंगी। बस यह विचार आते ही वे घोड़े की पूछ को काला करने के लिए चल पड़े। घोड़े को निकट से देखने के लिए दोनों आकाश मार्ग से समुद्र के ऊपर से जाने लगीं। दोनों घोड़े के पास पहंचीं तो नीचे उतर पड़ीं और निकट से देखा कि घोड़े का पूरा शरीर तो चंद्रमा के समान चमक रहा है लेकिन उसकी पूंछ काली है। यह देखते ही कद्रु ने विनता को अपनी दासी बना लिया। 

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