Dharam : सिद्धार्थी और रौद्र नाम से शुरु हो रहा है नवसंवत्सर, इसके प्रारंभ की तिथि और राजा प्रधानमंत्री को भी जानें, इस तरह मनाएं उत्सव 

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Dharam : सिद्धार्थी और रौद्र नाम से शुरु हो रहा है नवसंवत्सर, इसके प्रारंभ की तिथि और राजा प्रधानमंत्री को भी जानें, इस तरह मनाएं उत्सव 

Dharam : हिंदू समाज विक्रमी संवत के प्रारम्भ दिवस को नववर्ष के रूप में मनाता है, इस बार विक्रमी संवत 2082 की शुरुआत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा अर्थात 30 मार्च 2025 रविवार को हो रही है। यह संवत्सर श्री सिद्धार्थी एवं श्री रौद्र नाम से जाना जाएगा। प्रत्येक वर्ष के राजा और प्रधानमंत्री भी होते हैं। पंचांगविदों की गणना के अनुसार इस वर्ष के राजा और प्रधानमंत्री ग्रहों के राजा सूर्यदेव ही रहेंगे। वर्ष का पहला दिन होने के कारण ही इस दिन को वर्ष प्रतिपदा के रूप में जाना जाता है। 

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त्रेतायुग में प्रभु श्री राम का प्राकट्य तो चैत्र शुक्ल नवमी को हुआ था लेकिन राज्याभिषेक वर्ष प्रतिपदा के दिन ही हुआ था

वर्ष प्रतिपदा का ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व

इस दिन का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि इस दिन ही ब्रह्मा जी ने सूर्योदय के साथ सृष्टि की रचना प्रारंभ की। जिन दिग्विजयी सम्राट के नाम से संवत्सर का प्रारंभ हुआ था, उन्होंने इसी दिन अपने राज्य की स्थापना की थी। त्रेतायुग में प्रभु श्री राम का प्राकट्य तो चैत्र शुक्ल नवमी को हुआ था लेकिन राज्याभिषेक वर्ष प्रतिपदा के दिन ही हुआ था। इसी दिन से शक्ति और भक्ति की प्रतीक मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना नौ दिनों तक की जाती है जिसे नवरात्र या नवदुर्गा के रूप में जाना जाता है। द्वापर युग में कौरवों से युद्ध जीतने के बाद पांडवों में सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर ने जब हस्तिनापुर का राज सिंहासन संभाला तो उनका राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ। स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना कर समाज को कृणवंतो विश्वमार्यम का संदेश दिया अर्थात विश्व को आर्य यानी श्रेष्ठ बनाते चलो। सिंध प्रांत के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार भगवान झूलेलाल जी का प्राकट्य भी इसी दिन हुआ जिसे चेट्रीचंड उत्सव के रूप में मनाया जाता है। 

प्राकृतिक महत्व के पर्व को इस तरह मनाएं

वर्ष प्रतिपदा उल्लास और उमंग का पर्व है जिसमें चारो ओर खुशी का वातावरण होता है और फूलों की खुशबू। वर्ष प्रतिपदा से लेकर नवरात्र के समापन तक किसी भी नए कार्य को करने के लिए मुहूर्त का विचार करने की जरूरत नहीं होती बल्कि इस दिन से कोई भी नया शुभ कार्य शुरु कर सकते हैं। इस दिन घर के द्वार पर आम के पत्तों की वंदनवार, स्वास्तिक और ओम अंकित कर फर्श पर रंगोली बनाएं और छत या बालकनी में ओम अंकित ध्वज को फहराएं। एक दूसरे से मिलने पर एक दूसरे के माथे पर तिलक लगा कर नववर्ष मंगलमय की शुभकामना प्रेषित करें। अपने मित्रों, रिश्तेदारों को सोशल मीडिया पर बधाई संदेश दें। 

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