
Dharm : संसार का पहला सुख निरोगी काया और दूसरा सुख घर में माया है। इन सुखों का आधार एक स्वस्थ और नियमित जीवनशैली है। पुराने समय में जहां लोग अपने दिन की शुरुआत यानी सोकर उठते ही धरती मां के पैर छूकर, सूर्य नमस्कार, सुबह के समय सैर सपाटा और आध्यात्मिक कार्यों आदि से करते थें, तो वहीं अब बदलते समय के साथ लोगों की आदते भी बदल गई है। अब सुबह होते ही व्यक्ति सबसे पहले मोबाइल देखता है और फिर इधर-उधर के कार्यों में अपना समय बर्बाद करने लगता है। यदि आप भी अपने जीवन में सुख शंति, बुद्धि का सही प्रयोग, धन आगमन चाहते है तो सुबह उठते ही एक छोटा सा उपाय करना शुरु कर दें। यह उपाय आपके लिए बड़े काम का साबित होने वाला है।
प्रातःकाल में करें, जरुर यह काम
यदि आप भी अपने दिन को शुभ और मंगलमय बनाना चाहते है, तो सुबह उठते ही आपको सबसे पहले अपने करतल के दर्शन करने हैं। प्रात: काल उठते ही शयनशय्या पर सर्वप्रथम कर-तल (दोनों हाथ की हथेलियों) के दर्शन का विधान है। कर-तल के दर्शन करते हुए आपको निम्नलिखित श्लोक भी पढ़ना है-
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती।
करमूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते करदर्शनम्॥
इस श्लोक में धन की अधिष्ठात्री लक्ष्मी, विद्या की अधिष्ठात्री सरस्वती और कर्मक्षेत्र के अधिष्ठाता ब्रह्मा की स्तुति की गई है। इस मन्त्र का आशय है कि ‘मेरे कर (हाथ) के अग्र-भाग में भगवती लक्ष्मी का निवास है, कर (हाथ) के मध्य-भाग में सरस्वती तथा कर (हाथ) के मूल-भाग में ब्रह्मा निवास करते हैं।’
इन चीजों की होगी प्राप्ति
प्रभात-काल में अपनी हथेलियों के दर्शन करने से धन तथा विद्या की प्राप्ति के साथ-साथ कर्तव्य-कर्म करने की प्रेरणा प्राप्त होती है। भगवान वेदव्यास ने कर-उपलब्धि को मानव का परम लाभ माना है। इस विधान का आशय यह भी है कि प्रात: काल उठते ही सर्वप्रथम दृष्टि और कहीं न जाकर अपने कर-तल में ही देव-दर्शन करे, जिससे मन की वृत्तियाँ भगवद्-चिन्तन की ओर प्रवृत्त हों।
