Dakshinaarka Sun temple : पितृ मोक्ष के लिए, गया के सूर्य मंदिर में किया जाता है तर्पण, जानिए मंदिर का इतिहास और वास्तु के बारे में

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Dharamsthal, VEDEYE WORLD, dakshineswar sun temple

Dakshinaarka Sun temple : हिंदू धर्म में सूर्योपासना का बहुत अधिक महत्व है. सूर्य को ग्रहों का राजा भी कहा जाता है. सूर्यदेव के प्रसन्न होने पर व्यक्ति को आरोग्यता यानी निरोगी काया, राजसी सुख, मान सम्मान और सरकारी पद जैसे कई सुखों की प्राप्ति होती है इसलिए अक्सर लोग सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए लोग उनकी उपासना करके अर्घ्य देते हैं. सूर्य की उपासना होने के कारण ही देश के विभिन्न अंचलों में राजाओं महाराजाओं ने सूर्य के मंदिर बनवाए. बिहार की भूमि में भी कई सूर्य मंदिर हैं, जिनमें गया में भी एक प्रसिद्ध सूर्य मंदिर है. इस लेख में उसके निर्माण और महत्व के बारे बताया जाएगा.

पौराणिक काल का है मंदिर

व्रत-त्योहार और सामान्य दिनों में भी लोग पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद लोग वहीं से सूर्य को जल अर्पित करते चले आ रहे हैं. ज्योतिष में भी सूर्य को ग्रहों का राजा बताया गया है, ग्रह को मजबूत करने के लिए प्रातः काल सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सुझाव दिया जाता है. बिहार के गया का सूर्य मंदिर काफी पुराना बताया जाता है जिसे दक्षिणेश्वर या दक्षिणार्क सूर्य मंदिर कहा जाता है. इस मंदिर का उल्लेख वायु पुराण में भी किया गया है. पितृपक्ष में तो यहां पर मेला लगता है जिसमें श्रद्धालु यहां पर आने के बाद सूर्य मंदिर के सामने बने सूर्य कुंड में अपने पूर्वजों को अर्घ्य देते हैं. इस सूर्य कुंड को दक्षिण मानस तालाब भी कहा जाता है. यहां पर बहुत से श्रद्धालु परिवार के पूर्वजों का पिंडदान भी करते हैं. मान्यता है कि यहां पर पूर्वजों का मन में स्मरण कर दिया गया जल उन्हें प्राप्त होता है.

Dharamsthal VEDEYE WORLD dakshineswar sun temple

मंदिर के निर्माण का इतिहास

पुराणों में वर्णित इस मंदिर का निर्माण वास्तुकला के देवता विश्वकर्मा ने एक रात में किया था. पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार यह आठवीं या नवीं शताब्दी का है जहां का स्थापत्य नागर द्रविड़ शैली में है. बाद में इसका निर्माण वास्तु की नागर शैली में 13 वीं शताब्दी में वारंगल के सम्राट प्रताप रुद्र ने कराया था. मंदिर के पूर्व में सूर्य कुंड स्थित है. मंदिर के ऊपर गोल गुंबद बना है और यहां पर सभा मंडप गर्भगृह के सामने स्थित है. यह चौकोर पिरामिड का स्वरूप है. मंडप के चारों ओर विशाल स्तंभ हैं, जिनमें ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी के साथ ही सूर्य और दुर्गा माता की सुंदर पत्थर की मूर्तियां हैं. सूर्य कुंड जिसे दक्षिण मानस तालाब भी कहा जाता है, में पूर्वजों का तर्पण किया जाता है. सूर्य का दिन रविवार को होने के कारण यहां पर उस दिन श्रद्धालु काफी संख्या में दर्शन करने आते हैं. मंदिर में कार्तिक मेला, चैत्र मेला यहां के प्रमुख त्योहार हैं, जिसमें मेला लगता है.

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