Bhaktmaal : संसार की बहुमूल्य धरोहर को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने लिया पहला अवतार, जानिए धरोहर के बारे में 

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भगवान श्री विष्णु ने 24 अवतार लिए हैं जिनमें से पहला अवतार मत्स्य अवतार अर्थात मछली का अवतार माना गया है।

Bhaktmaal : संसार में जब-जब किसी तरह का संकट आया भगवान विष्णु ने अवतार लेकर अपने ही तरीके से उस संकट को दूर किया। इस तरह भगवान श्री विष्णु ने 24 अवतार लिए हैं जिनमें से पहला अवतार मत्स्य अवतार अर्थात मछली का अवतार माना गया है।

वेदों को बचाने के लिए श्री विष्णु की लीला

श्रीमदभागवत के अनुसार एक बार की बात है कि ब्रह्मा जी के  सोने का समय हुआ, तो उन्हें नींद आने लगी। नींद के समय वेद जो उनके मुख में वास करते थे निकल पड़े और उनके पास ही रहने वाला हयग्रीव नामके दैत्य ने उन्हें चुरा लिया। ब्रह्मा जी के निद्रा में जाने के कारण ब्रह्म प्रलय होती है जिसमें तीनों लोकों का नाश हो जाता है और ब्रह्मांड शून्य अवस्था में चला जाता है। प्रलय तभी होती है जब ब्रह्मा जी नींद में जाते हैंं। इसे ब्रह्मा जी का एक कल्प भी कहा जाता है। शेषनाग की शैय्या पर विश्राम कर रहे श्री हरि ने जान लिया कि हयग्रीव नाम के दैत्य ने वेदों को चुरा लिया है। वेदों को बचाने के लिए ही उन्होंने एक लीला रची।  

मछली ने राजा से की रक्षा की प्रार्थना

उसी समय की बात है कि द्रविड़ देश के राजा सत्यव्रत बहुत ही धर्मनिष्ठ थे, जो मलय पर्वत पर केवल जल पीकर तप कर रहे थे। वही राजा वर्तमान महाकल्प में वैवस्त मनु के नाम से जाने गए। एक दिन कृतमाला नदी में तर्पण करते समय उनकी अंजुरी में एक छोटी सी मछली आ गयी, जिसे उन्होंने पुनः नदी में छोड़ दिया। मछली ने उनसे रक्षा की प्रार्थना करते हुए कहा कि नदी के जीव जन्तु उसे खा लेंगे। राजा ने उसे कमंडल के जल में डाल दिया। 

मछली का आकार बढ़ता ही गया

कुछ ही समय में मछली काफी बड़ी हो गयी और कमंडल में जगह ही नहीं बची तो राजा ने उसे एक बड़े मटके में जल डाल कर रख दिया। लेकिन यह क्या मछली का आकार भी इतना बड़ा हो गया कि मटका छोटा पड़ गया। इस स्थिति में राजा ने मछली को एक ऐसे सरोवर में रख दिया जिसमें कोई जीव जंतु नहीं था। यहां भी मछली बढ़ती गयी और सबसे बड़े आकार की बन गयी। स्थिति यह हो गयी कि राजा उस मछली को जहां भी रखते हुए उसका आकार बढ़ता ही जाता तो राजा ने उसे उठा कर समुद्र में छोड़ दिया, इस पर मछली ने राजा से कहा, हे राजन ! आप मुझे समुद्र में न छोड़ें और मेरी रक्षा करें। अब राजा का कौतुहल बढ़ा तो उन्होंने हाथ जोड़ प्रणाम करते हुए प्रश्न किया, मछली का रूप धारण कर मुझे मोहित करने वाले आप कौन हैं, मुझे अपना पूरा परिचय दें। आप अवश्य ही सर्वशक्तिमान श्री हरि हैं। आपने यह रूप किस उद्देश्य से ग्रहण किया है। 

राजा को मछली ने प्रलय के बारे में बताया

राजा सत्यव्रत के इस तरह से पूछने पर मछली रूपी श्री हरि ने उत्तर दिया, आज से ठीक सातवें दिन तीनो लोक प्रलय कालीन समुद्र में डूब जाएंगे। तब मेरी प्रेरणा से एक बड़ी सी नाव तुम्हारे पास आएगी। उस समय तुम सप्तर्षियों सहित सभी प्राणियों के सूक्ष्म शरीर लेकर उस पर चढ़ जाना। साथ में सभी तरह की औषधियां और पेड़ों के बीजों को रखना न भूलना। जब तक रात रहेगी तब तक मैं नौका लेकर समुद्र में घूमते हुए तुम्हारे सभी प्रश्नों का उत्तर दूंगा। इतना कह कर मछली रूपी भगवान अंतर्ध्यान हो गए। 

हयग्रीव का वध कर, वेदों को मुक्त कराया 

ठीक सातवें दिन प्रलय हुई और भगवान पुनः उसी रूप में प्रकट हुए। उनका शरीर सोने के समान और शरीर का विस्तार चार कोस अर्थात 12.8 किलोमीटर तक हो गया। उनके शरीर में एक बड़ा सा सींग भी था। नाव को वासुकी नाग की सींग से बांध दिया गया। राजा ने भगवान की स्तुति की तो भगवान ने प्रसन्न होकर अपने इस पहले अवतार का रहस्य बताया जिसके अनुसार ब्रह्मा जी की नींद टूटने पर उन्होंने हयग्रीव का वध कर वेदों की श्रुतियां मुक्त करा ब्रह्मा जी को लौटा दीं।

  

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