Belaur Surya Mandir: पोखरों के बीच के एक पोखर में बने इस सूर्य मंदिर का मनोकामना पूरी करने और विभिन्न रोगों से मुक्ति पाने के लिए कई प्रदेशों के लोग दर्शन करने के लिए आते हैं. बिहार के भोजपुर में बेलाउर गांव में बने इस मंदिर का नाम गांव के नाम पर ही बेलाउर अथवा बेलार्क सूर्य मंदिर कहा जाता है. मंदिर का निर्माण कार्य राजा सूबा ने कराया था, जिन्होंने गांव में कुल 52 पोखर बनवाए जिसके कारण राजा को राजा बावन सूब के नाम से भी पुकारा जाने लगा. छठ पर्व पर यहां दर्शनार्थियों की भाड़ी उमड़ती है.
मौनी बाबा ने कराया जीर्णोद्धार
बिहार की राजधानी पटना से 75 किलोमीटर और आरा जिले से मात्र 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भगवान भाष्कर का यह दिव्य मंदिर पश्चिम मुखी है जबकि सामान्य तौर पर मंदिर पूर्वभिमुख होते हैं. जिस पोखर यानी तालाब में यह मंदिर है, उसे भैरवानंद कहा जाता है और वह बहुत ही विशाल है. मंदिर का निर्माण कराने के बाद राजा बावन खूब नित्य पूजा पाठ भी करते थे, इसलिए मंदिर की व्यवस्था भी अच्छी थी किंतु बाद में वह राजा बेलाउर गांव छोड़ कर कहीं और रहने चले गए तो रखरखाव के अभाव में मंदिर अव्यवस्थित हो गया. बाद में करवासीन के रहने वाले मौनी बाबा के मन में मंदिर का निर्माण कराने की इच्छा जगी तो जन सहयोग से मंदिर का जीर्णोद्धार कराया. पोखर के ठीक बीचो बीच मंदिर का विशेष आकर्षण है जहां मकराना पत्थर की मां दुर्गा, भगवान भोलेनाथ, गणपति और विष्णु जी की प्रतिमाएं भी हैं.
मनोकामना सिक्के की अद्भुत परम्परा
बेलाउर सूर्य मंदिर एक परम्परा अनूठी और अद्भुत है. छठ महापर्व के समय यहां के महंत श्रद्धालुओं को मनोकामना पूरी करने के लिए एक सिक्का भेंट में देते हैं. इन सिक्कों को पहले से मंदिर में सिद्ध किया जाता है. श्रद्धालु इस सिक्के को मन्नत रूपी प्रसाद समझ कर अपने घरों में ले जाते हैं और मनोकामना पूरी होने के बाद सिक्का मंदिर के महंतों को वापस लौटा दिया जाता है. कुछ लोग मन्नत मांगने के बाद पूरी होने पर सिक्का मंदिर की चौखट पर ठोक देते हैं. इन सिक्कों को छठ व्रत धारियों को दे दिया जाता है. सिक्के वापस करने वाले अपनी क्षमता के अनुसार मंदिर में दान दक्षिणा भी करते हैं.
मूर्ति के मामले में हुई कोर्ट कचहरी
मंदिर में मूर्ति को लेकर कोर्ट कचहरी की कहानी भी बहुत रोचक है. कहा जाता है कि मौनी बाबा ने राजस्थान के जयपुर में जाकर सूर्यदेव की एक प्रतिमा को पसंद किया तभी जयपुर के राजा ने भी उसे अपने यहां ले जाना चाहा. विवाद होने पर मामला कोर्ट पहुंचा जहां से मौनी बाबा के पक्ष में फैसला हुआ. संगमरमर की बनी भगवान भाष्कर की मूर्ति एक ही पत्थर से बनी है.